अवध धाम मंदिर में चल रहे वार्षिक महोत्सव एवं श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सत्संग समारोह के छठे दिन श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या उमड़ी। प्रसिद्ध कथावाचक पंडित राधे-राधे महाराज ने गहन आध्यात्मिक ज्ञान व प्रेरणादायक संदेशों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
उन्होंने कहा कि भगवान की लीला को जानना ही सच्चा धर्म है, लेकिन आज लीला का अर्थ ही बदल गया है। जो लीला पहले मर्यादा में होती थी, वो आज सार्वजनिक तमाशा बन गई है। कृष्ण स्वरूप की सामर्थ्य बहुत बड़ी है, लेकिन उसके पीछे गहराई और मर्यादा का ज्ञान जरूरी है।
‘नौटंकी का नाम लीला नहीं’ – उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि लीला का स्वरूप मनोरंजन नहीं, बल्कि साधना और रहस्य से भरा होता है।
भक्ति के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा किभक्ति सिर्फ मंदिर जाने या गंगा स्नान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि ईश्वर का भजन, सत्कर्म, समाज व मानवता की सेवा भी भक्ति ही है।
उन्होंने भागवत कथा के नैमिषारण्य प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि हजारों साल पहले जब ऋषि शौनक ने धर्म सम्मेलन का आयोजन किया था, तब दीर्घकालीन अनुष्ठानों की परंपरा थी। लेकिन कलियुग में भक्ति ही सबसे सरल और प्रभावशाली मार्ग है।
राधे-राधे महाराज ने यह भी कहा कि ईश्वर को प्राप्त करने के लिए कुलीनता, धन या उम्र की नहीं, केवल समर्पण की आवश्यकता है। चाहे सुदामा हों, बालक प्रह्लाद, गजराज या माता सेवरी – भगवान ने सभी पर कृपा कर भक्ति का संदेश दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि जीवन में किए गए शुभ-अशुभ कार्यों का फल अवश्य मिलता है। प्रारब्ध को पूरी तरह टाला नहीं जा सकता, लेकिन संत-सद्गुरु और भक्ति के प्रभाव से उसकी तीव्रता जरूर कम की जा सकती है। ठीक वैसे ही जैसे बारिश में छाता हमें भिगोने से बचा सकता है, लेकिन बारिश को रोक नहीं सकता।
अवध धाम सेवा समिति की ओर से प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित दाऊजी महाराज की अगुवाई में आए हुए विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया गया।
जिला अध्यक्ष दुष्यंत भट्ट, भाजपा नेता नवीन भाटिया, डीएसपी राजवीर यादव, रविंद्र सैनी, प्रीतम गुर्जर, रमेश चुग, अशोक नारंग, विजय सहगल, चेतन तनेजा, डॉ. गौरव श्रीवास्तव और डीईओ सुभाष भारद्वाज सहित अन्य गणमान्य अतिथियों को दुशाला ओढ़ाकर सम्मानित किया गया और आशीर्वाद प्रदान किया गया।