हरियाणा सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के फैसले को स्वीकार कर लिया है। यह फैसला उस याचिका के संबंध में है जिसमें सामाजिक और आर्थिक आधार पर 5 नंबर के बोनस अंकों की मांग की गई थी। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी CET के ग्रुप-C के लिए रिवाइज्ड रिजल्ट जारी किया गया है, जिसमें बोनस अंकों का उल्लेख नहीं है।
इस विवाद से जुड़े अन्य मुद्दों में, हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने CET की परीक्षा नवंबर 2022 में आयोजित की थी, जिसके बाद सरकार ने 23,000 पदों पर नियुक्तियां कर दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें विभिन्न तर्क प्रस्तुत किए गए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नई मेरिट सूची के आधार पर जो अभ्यर्थी पहले के परिणाम के आधार पर नियुक्त हुए हैं, उन्हें नए चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति होगी। वे जब तक नई चयन प्रक्रिया पूरी नहीं होती, पदों पर कार्यरत रहेंगे। इसके अलावा, उन्हें कोई अन्य विशेष अधिकार नहीं होंगे और नए अवधि के वेतन के अतिरिक्त किसी अन्य लाभ के हकदार नहीं होंगे।

सरकारी नौकरियों के मामले में यह विवाद इसलिए उठा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि केवल समाजिक और आर्थिक मानदंडों पर आधारित नियुक्तियां करना उचित नहीं है। यह नीति भी विभिन्न सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखती है, जो सरकारी नौकरियों के लिए उत्कृष्टता के मानकों को खतरे में डाल सकती हैं।

पुनर्विचार याचिका हो सकती है दाखिल
मामले में अब हरियाणा सरकार के पास विकल्प हैं। वे या तो इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती हैं या फिर सदन में विधेयक ला सकती हैं। इस प्रकार के मुद्दों पर अधिकारियों का यह कहना है कि समाज में अच्छे लोगों को सरकारी नौकरियों के अवसर नहीं दिया जाना चाहिए, जिनके परिवार के पास कोई आय का स्रोत नहीं हो।