Panipat : देशभर में कल मोहर्रम का पर्व(Muharram festival) मनाया जाने वाला है। जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय(Muslim community) के लोगों में बेहद उत्साह हैं। पानीपत में दरगाह कलंदर(Dargah Kalandar) साहब से विभिन्न अखाड़े सामूहिक रूप में अपने-अपने अखाड़े लेकर लाठियों वा गतका का खेल और तलवार बाजी करते हुए ताजिया(Tajia) के साथ या हुसैन या हुसैन के नारों के साथ निकाला जाएगा।
जानकारी देते हुए एडवोकेट इरफान अली ने बताया कि ताजिया दरगाह कलंदर साहब से समय 3 बजे निकल कर शाम करीब 7 बजे बाजारों से निकल कर इमाम साहब संजय चौक पहुंचेगा, जिसमें काफी संख्या में लोग हिस्सा लेंगे। बता दें कि दरअसल मोहर्रम एक महीना है, इसी महीने से इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत होती है। मोहर्रम की 10 तारीख को हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम मनाया जाता है। इस दिन हजरत इमाम हुसैन के फॉलोअर्स खुद को तकलीफ देकर इमाम हुसैन की याद में मातम मनाते हैं।

इस्लामी वर्ष यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना है। हिजरी वर्ष का आरंभ इसी महीने से होता है। इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है। साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास अहमियत बयान की है।

मुहर्रम में रखते जाते है उत्तम रोजे
मुख्तलिफ हदीसों, यानी हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के कौल (कथन) व अमल (कर्म) से मुहर्रम की पवित्रता व इसकी अहमियत का पता चलता है। ऐसे ही हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने एक बार मुहर्रम का जिक्र करते हुए इसे अल्लाह का महीना कहा। इसे जिन चार पवित्र महीनों में रखा गया है, उनमें से दो महीने मुहर्रम से पहले आते हैं। यह दो मास हैं जीकादा व जिलहिज्ज। एक हदीस के अनुसार अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने कहा कि रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो अल्लाह के महीने यानी मुहर्रम में रखे जाते हैं।
