Panipat : कभी-कभी भगवान तरक्की करने की इंसान को राह दिखा देता हैं और तरक्की करने के बाद उसमें कोई एक कमी रख देता हैं। जिसके कारण वो इंसान बेहद अनुभव होने के बाद भी अनुभवहीन नजर आने लगता हैं, क्योंकि वो अपने उस काम को भी ठीक प्रकार से नहीं कर पाता, जिसके लिए उसने जी-तोड़ मेहनत की। मेहनत करने के बाद उसने बुलंदियों को तो पा लिया, लेकिन बुलंदियों को पाने के बाद आम नागरिक के जीवन को खराब करना शुरू कर दिया।
ऐसा ही माजरा पानीपत शहर में भी देखने को मिला है, जहां एक बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने एक टांग का ऑपरेशन करने की बजाय दूसरी टांग का ऑपरेशन कर दिया और जब परिजनों से इसकी जानकारी मिली, तो दूसरी टांग का भी ऑपरेशन करके व्यक्ति को बिस्तर में बैठा दिया। इतना ही नहीं अपनी गलती होने के बावजूद भी अब डॉक्टरों द्वारा व्यक्ति को किसी प्रकार का न इलाज दिया जा रहा है और न ही किसी प्रकार की मदद की जा रही हैं। वो व्यक्ति अपने इलाज के लिए अब सिविल अस्पताल के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।

पानीपत के मडलौडा तहसील गांव वैसर वासी रणबीर ने उपायुक्त को शिकायत देते हुए बताया कि मैं राज मिस्त्री हूं और मंदिर बनाने का काम करता हूं। मैं अपने घर की सफाई करते हुए गिर गया था। जिसके कारण मेरी दाई टांग में कुछ दिक्कत आ गई थी, जिससे मुझे चलने में परेशानी होती थी। अपनी परेशानी को लेकर मैने डॉक्टर सुमित के पास रघुवीर से बातचीत की, जिन्होंने मुझे ऑपरेशन की सलाह दी। मेरा आयुष्मान कार्ड बना हुआ है, उसी दौरान मेरे जानकार गांव शेरा वासी मनोज से मुलाकात हुई, जो कि एम्बुलेंस ड्राइवर है। उसने कहा कि मेरा ऑस्कर अस्पताल पानीपत में जानकार है।

फंसने पर किया दूसरी टांग का ऑपरेशन
13 मई 2024 को वो मुझे अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टर हर्ष व विवेक पांडे ने मेरी जांच की व दाई टांग के ऑपरेशन के लिए कहा और मुझे दाखिल कर लिया। वहीं 14 मई को रात के समय मेरा ऑपरेशन किया। जब मुझे होश आया, तो मैने देखा कि मेरी दाई टांग ऐसे ही थी और बाई टांग के घुटने का ऑपरेशन किया हुआ मिला। मेरे परिवार के सभी सदस्य ये देखकर हैरान हो गए और डॉक्टर को बुलाकर कहा कि दाई टांग का ऑपरेशन करना था। यह देख डॉक्टर भी परेशान हो गए और कहा कि गलती हो गई। कोइ र्बात नहीं, अब हम बाई टांग का ऑपरेशन कर देंगे।

अब न कोई मेसेज, न कोई दवा-जांच
मेरे परिवार ने कहा कि ऐसे कैसे गलती हो गई, अब इसका खर्च कौन उठाएगा। जिस पर डॉक्टरों ने कहा कि खर्च की चिंता न करे, जो भी खर्च आएगा हम देंगे। यदि आप ठीक नहीं हुए तो आपको घर बैठे सारा खर्चा दिया जाएगा। उसके तुरंत 1 घंटे बाद दाई टांग का ऑपरेशन भी कर दिया। अब मैं न चल पाता हूं और न ही कोई काम कर पाता हूं। 23 जनवरी 2006 को एक एक्सीडेंट में मेरा परिवार समाप्त हो गया था। मैं अब अकेला हूं, मुझे कौन संभालेगा। उसके उपरांत आज तक ओस्कर अस्पताल से मेरे पास न तो कोई मैसेज आया और न कोई दवाई व जांच की गई। मैं परेशान होकर सिविल अस्पताल से इलाज लेने को मजबूत हूं। इसलिए मुझे न्याय दिलवाया जाए।