Panipat : दरगाह बु अली शाह कलंदर से मोहर्रम के उपलक्ष्य में(occasion of Muharram) ताजिया निकाला(Tajia procession) गया। जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। मोहर्रम का महत्व मोहर्रम के महीने में इस्लाम धर्म के नए वर्ष की शुरुआत होती है। मोहर्रम के महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। जिस कारण उनकी याद में हजरत इमाम हुसैन के फ्लोर्स खुद को कष्ट देकर उनको याद कर मातम मनाते है।
जानकारी देते हुए एडवोकेट इरफान अली ने बताया कि इस दिन प्यासे को पानी पिलाना कबूतरों को दाना डालना बेहद पुन्य का काम माना जाता हैं। आज सुबह से ही दरगाह में लंगर और मीठे पानी के स्टाल लगाकर लोगों में प्रसाद बांटा गया। शहर के विभिन्न स्थान से आए अखाड़ों(various Akharas) ने अपना-अपना प्रदर्शन कर(showed their skills) लोगों को अपनी तलवार बाजी, लाठी-गतका के करतब दिखाए। वहीं जौहर की नमाज के बाद 4 बजे ताजियों के साथ मोहर्रम की यात्रा निकली गई, जो कि या हुसैन या हुसैन के नारों के साथ मेन बाजार, गुडमंडी बाजार, अमर भवन चौक से निकल कर संजय चौक इमाम साहब पर कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुई।

यात्रा में मुख्य रुप से संपदा अधिकारी मोइनुदीन, दरगाह प्रधान राशिद खान, अखाड़ा प्रधान शौकत अली, मुख्य अतिथि तिलक राज सभरवाल, संजय सोनी, सौरभ अग्रवाल, अमित कुमार, अमन मुंजाल, मजहर, साहिल, खुर्शीद, मंसूर, अरशद मलिक आदि सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। इस अवसर पर एडवोकेट इरफान अली ने एक संदेश के रूप में युवाओं को कहा कि मातम में खून बहाने से अच्छा है, खून दान कर किसी की मदद करना।

