Panipat जिले के हल्का समालखा स्थित चुलकाना धाम में आज बसंत पंचमी के अवसर पर चुलकाना नरेश बाबा श्यामजी का पीत श्रृंगार किया गया। इस दिन विशेष रूप से श्याम बाबा के अंत: वस्त्र बदले जाते हैं, जो पूरे वर्ष बाबा के साथ लिपटे रहते हैं। यह वस्त्र केवल बसंत पंचमी के दिन बदला जाता है और भक्तों के लिए इसे एक वरदान के समान माना जाता है।
श्याम बाबा का पीत श्रृंगार और अंत: वस्त्र का महत्व

इस दिन पंचामृत स्नान के बाद श्याम बाबा को पीत अंग वस्त्र पहनाया जाता है, इसके बाद उन्हें पीले फूलों से श्रृंगार किया जाता है। श्याम बाबा का यह अंत: वस्त्र भक्तों में बांट दिया जाता है। भक्त इस वस्त्र को पाने के लिए पूरे वर्ष भर इंतजार करते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस वस्त्र को प्राप्त करने से संतान, विवाह, नौकरी और व्यापार में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और भक्तों के दुख समाप्त होते हैं।
दूर-दूर से भक्त पहुंचे चुलकाना धाम

प्रधान ने बताया कि इस अवसर पर लाखों भक्त देश-विदेश से चुलकाना धाम पहुंचे। वे श्याम बाबा के दर्शनों के लिए दूर-दराज से यात्रा कर रहे थे और इस पवित्र अवसर पर बाबा के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए लालायित थे।
श्याम बाबा और बर्बरीक की कथा

पंडित अजित के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने श्याम बाबा (बर्बरीक) के बलिदान से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि कलयुग में वे “श्याम” नाम से प्रसिद्ध होंगे। यह मान्यता है कि बर्बरीक का शीश खाटू नगर (वर्तमान राजस्थान) में दफनाया गया था, इसलिए उन्हें खाटू श्याम के नाम से भी जाना जाता है, जबकि उनका शरीर हरियाणा के चुलकाना धाम में स्थित है। इस कारण चुलकाना धाम को पवित्र माना जाता है और यह स्थान विश्वभर में प्रसिद्ध है।
देवउठनी एकादशी और श्याम बाबा के जन्मदिन की धूम

पुजारी संदीप ने बताया कि हर वर्ष कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी को श्याम बाबा के शीश मंदिर में सुशोभित किया जाता है। इसी दिन को चुलकाना नरेश श्याम का जन्मदिन माना जाता है और इसे श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है।
लाखों श्रद्धालुओं ने किया भंडारा और दर्शन

इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक संस्थाओं ने समालखा से लेकर चुलकाना धाम तक भंडारे आयोजित किए, जहां लाखों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। चुलकाना धाम में भक्तों का जन सैलाब उमड़ा था, और लाखों श्रद्धालुओं ने श्याम बाबा के दर्शन किए। भक्तों का मानना है कि बाबा श्याम हारे का सहारा और लखदातार हैं, क्योंकि वे जो भी मांगा जाता है, वह लाखों बार दे देते हैं।