Rohtak में जिला परिषद के पार्षदों ने अर्धनग्न होकर विकास भवन में प्रदर्शन(Unique protest by councillor) किया। वे अपनी शर्ट, कुर्ता, टी-शर्ट आदि उतारकर धरना देने लगे और जोर-जोर से नारेबाजी(sit-in protest half naked) करने लगे। प्रदर्शन कर रहे 9 पार्षद चेयरमैन मंजू हुड्डा(Chairman Manju Hooda) के खिलाफ खड़े(accuse chairman) हो गए हैं।
पार्षदों का कहना है कि फरवरी के बाद से जिला परिषद की कोई मीटिंग नहीं हुई है। वे बार-बार मीटिंग की मांग कर रहे हैं, लेकिन चेयरपर्सन मंजू उनकी मांगों को अनसुना कर देती हैं। काफी विरोध के बाद अब 24 जुलाई को मीटिंग का संदेश मिला था, लेकिन इसे बदलकर 26 जुलाई कर दिया गया। पार्षदों का सवाल है कि अगर 24 को मीटिंग नहीं हो सकती, तो इसे दो दिन पहले भी किया जा सकता है। वे केवल दो दिन की देरी से ही मीटिंग क्यों करवाई जा रही है, इसे लेकर नाराज हैं।

पार्षदों का कहना है कि उनके क्षेत्रों की जनता उनसे सवाल करती है कि उनके काम क्यों नहीं हो रहे हैं। पार्षदों के पास इसका कोई जवाब नहीं है, जबकि चेयरपर्सन को इसकी परवाह नहीं है। CEO भी उनकी बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। अगर मीटिंग में देरी होती रही, तो जल्द ही हरियाणा में आचार संहिता लागू हो जाएगी, जिससे उनके कामों में और देरी होगी।
19 करोड़ का फंड
जिला पार्षदों की मांग है कि जिला परिषद बोर्ड की बैठक जल्दी से जल्दी बुलाई जाए, ताकि सरकार द्वारा दिए गए 19 करोड़ रुपयों को विकास के कार्यों में लगाया जा सके। प्रदर्शन कर रहे पार्षद सोनू पिलाना, दीपक निगाना, अनिल कुमार ने कहा कि जिला परिषद के हाउस की बैठक करवाई जाए, ताकि उनके वार्डों में काम किए जा सकें।
बैठक की आवश्यकता
पार्षदों ने कहा कि जिला परिषद को सरकार ने 19 करोड़ रुपए भेजे हैं, लेकिन जिला परिषद के हाउस की बैठक नहीं होने के कारण यह पैसा विकास कार्यों में नहीं लग पा रहा है। सोनू पिलाना ने बताया कि नियम अनुसार एक साल में कम से कम 6 हाउस की बैठक होनी चाहिए। इस साल फरवरी में ही हाउस की बैठक हुई थी, इसके बाद कोई बैठक नहीं हुई।
उपायुक्त से मुलाकात
हाउस की बैठक की मांग को लेकर पार्षद डीसी और अन्य अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। पार्षदों का कहना है कि अगर बैठक जल्दी नहीं बुलाई गई, तो वे अपने क्षेत्रों में काम नहीं करवा पाएंगे और जनता के सवालों का जवाब नहीं दे पाएंगे।