दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के कारण आबो हवा खराब हो रही है। हरियाणा का जिला सोनीपत देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार कर रहा है। जहां सोनीपत का एयर क्वालिटी इंडेक्स 299 है, जिसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वहीं जिला प्रशासन द्वारा सोनीपत में औद्योगिक क्षेत्र में ग्रेप को लागू कर दिया है। शहर के अलग-अलग हिस्सों में नियमों की सरेआम धजिया उड़ाई जा रही है। जहां प्रशासन कार्रवाई करने की बात कर रहा है तो ऐसे में लगातार भवन निर्माण कार्य खुले में हो रहे हैं।
अकसर देश की राजधानी को सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में देखा जाता था और अब राजधानी दिल्ली को भी पछाड़कर दिल्ली एनसीआर में स्थित सोनीपत एयर क्वालिटी इंडेक्स में 299 पर पहुंचकर टॉप में शुमार कर रहा है। गर्मी से धीरे-धीरे अब सर्दी का आगमन हो रहा है। जैसे-जैसे मौसम बदल रहा है, वैसे-वैसे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। जानकारी के मुताबिक सोनीपत के मुरथल में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सेंटर बनाया गया है। जहां से जिले की वायु गुणवत्ता को ऑब्जर्व किया जाता है। सोनीपत का एयर क्वालिटी इंडेक्स से 299 पर जा पहुंचा है। वही गुरुग्राम 219 पर है, फरीदाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स 184 पर है।
देश की राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता 173 पर है। सोनीपत वायु गुणवत्ता में सबसे टॉप पर शुमार कर रहा है और दिल्ली एनसीआर से सटे हुए सोनीपत के लिए यह काफी चिंता का विषय है। अभी पूरी तरह से मौसम में तब्दीली भी नहीं आई है, लेकिन अभी से सोनीपत की वायु में जहर घुल गया है।
योजनाओं के लाभ से रखा जा रहा वंचित, प्रशासन इंतजाम के कर रहा दावे
सोनीपत में कई बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं। जिनमें कुंडली, राई, नाथुपुर, खरखौदा, बढई और सोनीपत शामिल हैं। हालांकि जिला प्रशासन द्वारा औद्योगिक क्षेत्र में जैनरेटर चलाने को लेकर ग्रेप लागू किया गया है और जनरेटर बंद करने के एवरेज में बिजली आपूर्ति को बढ़ाने का दावा किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ इन दिनों धान की फसल के फसल अवशेष में किसानों द्वारा आग लगाई जा रही है। जिसके लिए प्रशासन लगातार जुर्माना राशि से लेकर मामले दर्ज करवा रहा है। इतना ही नहीं सरकार की तरफ से मिलने वाली कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित करने की बात कही जा रही है, लेकिन इन सभी इंतजामों के बावजूद प्रशासन दावा कर रहा है कि वह कार्रवाई कर रहे हैं।
डीसी ने उपकरण की तकनीक पर फोड़ा बढ़ते पॉल्यूशन का ठीकरा
धरातल की वास्तविकता यह भी है कि शहर के अलग-अलग हिस्सों में भवन निर्माण कार्य खुलेआम चल रहे हैं और भवन निर्माण सामग्री खुले आम रोड पर रखी हुई है। हालांकि सोनीपत के उपायुक्त ने ग्रेप सिस्टम के तहत एक कार्रवाई करने की बात कही है, लेकिन कार्यालय में बैठकर सोनीपत में जिम्मेदारी तय की गई है। धरातल पर नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। वहीं जब सोनीपत के उपायुक्त मनोज कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने बढ़ते हुए पॉल्यूशन का ठीकरा उपकरण की तकनीक पर ही फोड़ दिया है।
नियमों पर खरा उतरने के किए जा रहे दावे, फिर कैसे बढ़ा पॉल्यूशन
उपायुक्त मनोज कुमार का कहना है कि जिला में ग्रेप के सभी नियम लागू कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री एरिया में बिजली के कटों की समस्या को दूर कर मांग के अनुसार बिजली की सप्लाई आपूर्ति बढ़ाई गई। वहीं औद्योगिक क्षेत्र जिन फैक्टरी मालिकों के पास जनरेटर चलाने की परमिशन नहीं है, वह नहीं चला पाएंगे। वहीं खेतों में पराली जलाने के मामलों को लेकर अधिकारी मौके पर पहुंच कर लगातार जुर्माना और कार्रवाई कर रहे हैं।
वहीं भवन निर्माण या निर्माण सामग्री पर वाटर गन या पानी छिड़काव को लेकर भी सुनिश्चितता की गई है। उन्होंने एयर क्वालिटी इंडेक्स से उपकरण द्वारा वायु की गुणवत्ता जारी करने को लेकर कहा है कि उसका एक बार विश्लेषण करवा रहे हैं कि किस कारण से एयर क्वालिटी इंडेक्स इतना ज्यादा बढ़ रहा है।
उपकरण की रीडिंग को लेकर खड़े किए सवाल
उपायुक्त मनोज कुमार ने कहा कि यंत्र के आसपास कोई इंडस्ट्री तो नहीं चल रही, जिससे ज्यादा प्रदूषण हो रहा हो। उपायुक्त ने उपकरण की रीडिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि उसकी जांच करवाई जाएगी। नियमों की अवहेलना करने वाले औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टरी की CT को कैंसिल कर दिया जाएगा और जुर्माने के प्रावधान के साथ-साथ फैक्टरी को भी बंद किया जा सकता है। वहीं मामला प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ा होने के चलते कोई भी किसान अगर पराली जलाता है तो उसके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई होगी।