Kurukshetra में कश्मीर से कन्याकुमारी तक मशहूर ताऊ बलजीत की देशी घी की जलेबी ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी खास पहचान बनाई है। उनकी जलेबियां न केवल स्थानीय बल्कि कर्नाटक, गोवा, हैदराबाद, शिमला, देहरादून जैसे शहरों से आए पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
खास खुशबू और स्वाद का जादू
देशी घी में तैयार होने वाली इन जलेबियों की सौंधी खुशबू बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी ओर खींचती है। इस बार ताऊ बलजीत ने ब्रह्मसरोवर के दोनों ओर अपने स्टॉल लगाए हैं ताकि पर्यटकों की मांग पूरी की जा सके।
विशेष छूट और शुद्धता पर जोर
सोनीपत के गोहाना गांव निवासी ताऊ बलजीत पिछले 11 सालों से गीता महोत्सव में अपनी जलेबियों का स्वाद पर्यटकों को चखा रहे हैं। इस बार भी उन्होंने हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक के पर्यटकों के लिए प्रति किलो जलेबी पर विशेष छूट का प्रावधान रखा है। एक किलो जलेबी की कीमत 400 रुपये है, जिसमें एक जलेबी का वजन 250 ग्राम है। शुद्ध देशी घी से तैयार ये जलेबियां स्वाद और सेहत का अनूठा मिश्रण हैं।
विदेशी पर्यटकों की भी पसंद
ताऊ बलजीत ने बताया कि उनकी जलेबियां न केवल देश के बल्कि विदेश से आए पर्यटकों के बीच भी बेहद लोकप्रिय हैं। महोत्सव के दौरान विदेशी पर्यटक भी बड़े चाव से उनकी जलेबियां खरीदते हैं।
प्रशासन का सहयोग और परंपरा का सम्मान
ताऊ बलजीत ने महोत्सव के आयोजन और जिला प्रशासन के सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाएं बेहतरीन तरीके से की गई हैं।
चार दशकों का अनुभव
करीब 40 साल से जलेबियां बनाने वाले ताऊ बलजीत ने बताया कि उन्हें और उनके परिवार को हर साल गीता महोत्सव का बेसब्री से इंतजार रहता है। उनके परिवार के सदस्य विजय कुमार और सुनील कुमार भी इस काम में उनका साथ देते हैं। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव हमारे लिए खास होता है। यहां आकर सुकून मिलता है, और पर्यटकों को स्वादिष्ट जलेबियां खिलाने से आत्मिक संतुष्टि मिलती है।”
गीता महोत्सव में ताऊ बलजीत की जलेबियां इस बार भी हर दिल का स्वाद बढ़ाने में सफल रही हैं।