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Surajkund मेले ने तोड़ा पर्यटकों का रिकॉर्ड, हरियाणवीं संस्कृति को मिला वैश्विक मंच

हरियाणा फरीदाबाद

Faridabad 38वें सूरजकुण्ड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले ने इस साल पर्यटकों की रिकार्ड-तोड़ हाजिरी दर्ज कर एक नया इतिहास रच दिया। गत वर्ष 13.10 लाख पर्यटकों की तुलना में इस बार मेले में 18 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे, जिससे इसकी लोकप्रियता और सांस्कृतिक महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।

हरियाणा के पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि इस मेले के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘राष्ट्रीय एकता, कला व संस्कृति की विविधता’ को बढ़ावा देने के संकल्प को मजबूती मिली। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अगुवाई में इस वर्ष मेले का आयोजन कई मायनों में खास रहा, जहां ओडिशा और मध्य प्रदेश थीम स्टेट बने, और नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड समेत 44 देशों के 644 प्रतिभागियों ने भागीदारी की।

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हरियाणवीं संस्कृति को वैश्विक पहचान

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डॉ. अरविंद शर्मा के अनुसार, इस बार हरियाणा की लोक कला, संगीत और नृत्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर विशेष रूप से प्रस्तुत किया गया। पारंपरिक नगाड़ा, बीन, कच्ची घोड़ी, लोक गीत, सारंगी, ईकतारा, डेरु जैसी विलुप्त होती लोक विधाओं को फिर से जीवंत किया गया। प्रदेश के अलग-अलग कोनों से आई 48 टीमों के 322 कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से मेले की सांस्कृतिक भव्यता में चार चांद लगाए।

सुरक्षा, डिजिटल पेमेंट और पारदर्शिता बनी मेले की खासियत

इस वर्ष मेला प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। डिजिटल पेमेंट प्रणाली को बढ़ावा दिया गया, जिससे कारीगरों और हस्तशिल्पियों को सीधा लाभ मिला। पहली बार स्टॉल आवंटन ऑनलाइन प्रक्रिया से हुआ, जिससे अलग-अलग राज्यों और देशों के शिल्पियों व बुनकरों को पूरा अवसर मिला। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही,  2000 से अधिक पुलिस जवानों की तैनाती और 600 सीसीटीवी कैमरों की निगरानी से मेला परिसर को सुरक्षित बनाया गया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

इस बार मेले में मंचों की संख्या दो से बढ़ाकर चार कर दी गई, जिससे अधिक कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। ‘महा स्टेज’ पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने प्रस्तुति दी, जबकि ‘चौपाल’ पर रोजाना 10 देशों के कलाकारों ने अपनी सांस्कृतिक झलकियां पेश कीं।

भविष्य के लिए बड़ा संकेत

पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने बताया कि इस वर्ष 15 राज्यों के व्यंजनों के साथ-साथ दर्जनभर वैश्विक ब्रांड्स को भी फूड कोर्ट में शामिल किया गया। ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और गोवा जैसे राज्यों के पवेलियन स्थापित कर पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया गया।

पर्यटकों की ऐतिहासिक भागीदारी और पारदर्शिता भरे प्रबंधन से यह स्पष्ट हो गया कि सूरजकुण्ड मेला न केवल हरियाणा बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में सफल हो रहा है।

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