हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश में यदि कहीं भी शामलात देह भूमि वक्फ बोर्ड के नाम हस्तांतरित की गई है, तो उसकी गहन जांच करवाई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से रोहतक-गोहाना मार्ग पर स्थित पीर बोधी भूमि विवाद को लेकर जांच कमेटी गठित करने का ऐलान किया। इस कमेटी का नेतृत्व रोहतक मंडलायुक्त करेंगे, जिसमें करनाल मंडलायुक्त और रोहतक जिला उपायुक्त बतौर सदस्य शामिल होंगे। यह कमेटी मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों और तथ्यों की गहराई से जांच करेगी।
1967 से 2024 तक का पूरा मामला
1967-68 में यह भूमि शामलात देह भूमि थी, लेकिन 1990 में इसे भारत सरकार द्वारा पंजाब वक्फ बोर्ड के नाम अधिसूचित कर दिया गया। बाद में इसे कब्रिस्तान के रूप में दर्ज किया गया और 2024 में यह लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में आई। फिलहाल, इसे लीज़ पर दिया गया है।
शामलात भूमि स्थानांतरण पर सरकार की सख्ती
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि यह गंभीर विषय है कि आखिर किस प्रक्रिया और किन ताकतों के माध्यम से यह भूमि वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित की गई। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार इस पूरे मामले की तह तक जाएगी और जो भी गड़बड़ी हुई है, उसे उजागर किया जाएगा।
जोहड़, तालाब और जलाशयों के संरक्षण पर सरकार का फोकस
सीएम सैनी ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार जलाशयों और सार्वजनिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। हाल ही में हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) अधिनियम, 2024 में संशोधन किया गया है, जिसके तहत 500 गज तक मकान बना कर रह रहे लोगों को मालिकाना हक दिया गया है। लेकिन, यदि कोई भूमि जोहड़, तालाब या जलाशय की श्रेणी में आती है, तो वहां निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि प्रदेश सरकार का संकल्प है कि जोहड़, तालाब और अन्य जल संसाधनों को संरक्षित किया जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।