हरियाणा राइट टू सर्विस एक्ट, 2014 से प्रदेश के सरकारी कामकाज में क्या क्या बदलावा आया है। इससे कैसे सरकारी कार्यालयों में काम आसान हो गया है। इसका अध्ययन करने के लिए असम राज्य के एक प्रतिनिधिमंडल ने हरियाणा राइट टू सर्विस कमिशन का दौरा किया।
असम के प्रशासनिक सुधार, प्रशिक्षण, पेंशन एवं जन शिकायत विभाग की अतिरिक्त सचिव पांचाली काकति के नेतृत्व में आए इस प्रतिनिधिमंडल ने हरियाणा में इस हरियाणा राइट टू सर्विस एक्ट, 2014 के सफल कार्यान्वयन के बारे में जानकारी हासिल की, ताकि वे हरियाणा के मार्गदर्शन और सहयोग से असम राज्य आयोग की स्थापना के संबंध में असम राज्य सरकार को सिफारिशें कर सकें।
हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन के मुख्य आयुक्त टी सी गुप्ता ने कहा कि हरियाणा अब अपनी सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणालियों को मजबूत करके अन्य राज्यों के लिए एक कोर्स तैयार कर रहा है, क्योंकि कई राज्य हरियाणा के मॉडल को अपनाने के इच्छुक हैं।
96.9 प्रतिशत अपीलों का किया समाधान
उन्होंने बताया कि इस मॉडल की प्रभावशीलता का एक उल्लेखनीय उदाहरण ऑटो अपील सिस्टम (एएएस) है, जिसने न केवल सेवा वितरण को सुव्यवस्थित किया है, बल्कि नागरिकों को भी सशक्त बनाया है। एएएस के माध्यम से उठाई गई 8,34,466 अपीलों में से 96.9 प्रतिशत का सफलतापूर्वक समाधान किया गया है, जो इस प्रणाली के वास्तविक प्रभाव को दर्शाता है।
सेवा वितरण में खामियों मिलने पर कई अधिकारियों को नोटिस भी जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि 30 से अधिक मामलों में तो द्वितीय शिकायत निवारण प्राधिकरण (एसजीआरए) ने जुर्माना लगाया है।
404 सेवाओं को एएएस ढांचे के भीतर किया शामिल
अभी 39 संस्थाओं द्वारा 404 सेवाओं को एएएस ढांचे के भीतर शामिल किया गया है। यदि सेवाएं निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रदान नहीं की जाती हैं, तो एएएस स्वचालित रूप से अपील को आगे बढ़ाता है, जिससे जवाबदेही मजबूत होती है। असम प्रतिनिधिमंडल ने हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन की कार्य प्रणाली की सराहना की और हरियाणा मॉडल को अनुकरणीय बताया।