Health News : ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार हाईकोर्ट में स्वीकार किया है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इसी वैक्सीन को भारत में कोविशिल्ड के नाम से जाना जाता है। एस्ट्राजेनेका ने इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार किया था। वैक्सीन लेने के बाद मौत, ब्लड क्लॉटिंग और दूसरी गंभीर दिक्कतों के कारण एस्ट्राजेनेका कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है। कई परिवारों का आरोप है कि वैक्सीन के कारण गंभीर साइड इफेक्ट सामने आए हैं।
बताया जा रहा है कि भारत में इस वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने किया था। मार्केट में वैक्सीन आने से पहले ही एसआईआई ने एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया था। सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। भारत में करीब 80 फीसदी वैक्सीन डोज कोविशिल्ड की ही लगाई गई हैं। वहीं इसी वर्ष जनवरी माह में द टेलीग्राफ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें दावा किया गया है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के कारण जिन लोगों को गंभीर साइड इफेक्ट्स झेलने पड़े, उन पीड़ितों ने शिकायत की है कि उन्हें सोशल मीडिया पर अपने लक्षणों के बारे में बात करने पर सेंसरशिप का सामना करना पड़ा है।
बताया जा रहा है कि ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने कोर्ट के दस्तावेजों के हवाले से एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसके अनुसार एस्ट्राजेनेका के खिलाफ पहला केस जेमी स्कॉट नाम के व्यक्ति ने दर्ज करवाया था। अप्रैल 2021 में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने के बाद वह स्थायी रूप से ब्रेन इंजरी का शिकार हो गए और काम नहीं कर पाए। बताया जा रहा है कि जेमी की हालत ऐसी थी कि अस्पताल ने उस दौरान उनकी पत्नी को 3 बार फोन करके बताया कि उनके पति मरने वाले हैं। बताया जा रहा है कि जेमी को टीटीएस (थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिन्ड्रोम) नाम का गंभीर साइड इफेक्ट हुआ। इससे लोगों के दिमाग में खून के थक्के बन जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है।
रिपोर्ट की मानें तो एस्ट्राजेनेका ने इसी साल फरवरी माह में ही कोर्ट में दस्तावेज जमा किए। जिसमें बताया गया है कि इसकी कोविड वैक्सीन से कुछ मामलों में टीटीएस हो सकता है। यूके हाईकोर्ट में कंपनी के खिलाफ 51 केस दर्ज हैं। पीड़ित परिवार वाले कंपनी से करीब 1000 करोड़ रुपये (100 मिलियन पाउंड) मुआवजे की मांग कर रहे हैं। वहीं मई 2023 में एस्ट्राजेनेका का कहना था कि वैक्सीन के कारण सामान्य तौर पर टीटीएस होने की बात को वह नहीं स्वीकारता है। हालांकि अब कंपनी कह रही है कि कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसा हो सकता है। उसे नहीं पता कि ऐसा क्यों हुआ।
साथ ही कंपनी का यह भी कहना है कि वैक्सीन के बिना भी टीटीएस हो सकता है। उधर पीड़ित परिवारों के वकील ने कोर्ट में दावा किया है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन खराब है। इसके प्रभाव को काफी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है। हालांकि एस्ट्राजेनेका ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। जब एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन लगनी शुरू हुई थी, तब भी इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर खूब विवाद हुआ था। हालांकि तब कंपनी ने कहा था कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन के कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले थे। कहा गया था कि वैक्सीन लगने के बाद थकान, गले में दर्द और हल्का बुखार जैसे लक्षण दिखे, लेकिन किसी की मौत या गंभीर बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया।