Power Employees Strike: हिमाचल प्रदेश में बिजली बोर्ड कर्मचारियों और अभियंताओं ने सरकार के युक्तिकरण (रैशनलाइजेशन) फैसले के खिलाफ ‘वर्क टू रूल’ आंदोलन शुरू कर दिया है। अब से राज्यभर में बिजली बोर्ड के कर्मचारी और अभियंता सिर्फ सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ही काम करेंगे और शिफ्ट टाइम के अलावा सेवाएं नहीं देंगे। ऐसे में यदि इसके अलावा तकनीकी कारणों के चलते बिजली गुल हुई तो ठीक होना मुश्किल हैै।
क्या है विरोध का कारण?
बिजली बोर्ड प्रबंधन ने आर्थिक मजबूती का तर्क देते हुए सरप्लस पदों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके तहत 700 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं। इसके अलावा, बोर्ड के अन्य कार्यालयों और विंग्स में भी सरप्लस स्टाफ की नई सूचियां तैयार की जा रही हैं।
कर्मचारियों का विरोध और आगामी रणनीति
बोर्ड प्रबंधन के इस निर्णय से कर्मचारियों, अभियंताओं और पेंशनर्स के संयुक्त मोर्चे में भारी आक्रोश है। इसी कारण, 10 फरवरी से ‘वर्क टू रूल’ नीति लागू की गई, जिसके तहत कर्मचारी कार्य समय से अधिक सेवाएं नहीं देंगे।
- 10 फरवरी को पूरे प्रदेश में कर्मचारी काले बिल्ले लगाकर विरोध जताएंगे।
- 11 फरवरी को हमीरपुर में जिला पंचायत बैठक होगी, जहां आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।
- 24 फरवरी को सभी बोर्ड कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दे चुके हैं।
कर्मचारियों की मांग और आरोप
संयुक्त मोर्चा के सह संयोजक हीरालाल वर्मा ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी मुख्यमंत्री को गलत जानकारी देकर बोर्ड को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड पहले से ही स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार नई भर्तियों के बजाय मौजूदा पदों को समाप्त कर रही है, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ गई है।
इस विरोध के कारण प्रदेश में बिजली सेवाओं पर असर पड़ सकता है, खासकर इमरजेंसी सेवाओं में देरी हो सकती है। अब सबकी निगाहें 11 फरवरी की बैठक पर टिकी हैं, जहां कर्मचारी अगला कदम तय करेंगे।