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Priya Jhingan की एक चिट्ठी ने बदल दिया था भारतीय सेना का इतिहास

देश

Priya Jhingan : बात है सन 1989 की, शिमला के St Bede’s College में पढ़ने वाली 21 साल की लड़की प्रिया झिंगन ने अखबार में एक विज्ञापन देखा। विज्ञापन में पुरुषों को भारतीय सेना से जुड़ने का न्यौता दिया गया था। प्रिया झिंगन को बात ठीक नहीं लगी। उन्होंने आव देखा न ताव और तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल Sunith Francis Rodrigues को एक खत लिखा खत में प्रिया ने एक सवाल किया और उस सवाल ने ही भारतीय सेना का इतिहास बदल दिया। प्रिया का सवाल था, “आप सिर्फ पुरुषों को क्यों बुला रहे हैं, महिलाओं को क्यों नहीं?

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आमतौर पर ‘इस तरह के खतों’ को ठंडे बस्ते में डाल देना लाजमी है। प्रिया झिंगन के साथ कुछ और ही हुआ। प्रिया को आर्मी चीफ जनरल सुनीत का जवाब मिला। आर्मी चीफ प्रिया का खत पाकर बेहद खुश थे। उन्होंने प्रिया को जवाब में लिखा, “एक महिला भारतीय सेना से जुड़ना चाहती है ये सुनकर मैं बहुत खुश हूं और ये जल्द ही होगा।”

1992 में अखबार में पूरे पेज का विज्ञापन

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प्रिया के सपनों को आर्मी चीफ के शब्दों ने पंख दे दिए। 2 साल के बाद प्रिया झिंगन को वो विज्ञापन दिखा, जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार था। 1992 में भारतीय सेना ने अखबार में एक पूरे पेज का विज्ञापन निकाला। इस विज्ञापन के द्वारा महिलाओं को सेना से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया गया था। प्रिया झिंगन अपने सपने को पूरा करने के एक कदम और आगे बढ़ी।

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एक इंटरव्यू में प्रिया झिंगन ने बताया। कि “मैं अपने देश के लिए कुछ करना चाहती थी। बस इसीलिए मैंने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ को वो क्लासिक चिट्ठी लिखी और चिट्ठी में उनसे महिलाओं को सेना में भर्ती करने की गुजारिश की। मैं ऑलिव ग्रीन यूनिफॉर्म में मार्च करना चाहती थी।”,

कड़ी लगन और मेहनत से बनीं भारतीय सेना की कैडट 001

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Priya Jhingan की कड़ी मेहनत रंग लाई। वकालत में ग्रैजुएट प्रिया झिंगन को ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी (Officers Training Academy, OTA) चेन्नई में लॉ ग्रैजुएट के लिए रिजर्व्ड रखी गई सीट मिली। प्रिया झिंगन बतौर कैडेट 001 भारतीय सेना से जुड़ी। प्रिया के साथ 24 अन्य महिलाओं को भी सेना में प्रवेश मिला। ये भारतीय सेना की पहली महिलाएं थीं जिन्होंने भविष्य के लिए रास्ता बनाया और रास्ते पर सबसे आगे थीं प्रिया झिंगन। SSB Crack के लेख के मुताबिक, प्रिया झिंगन और अन्य महिला कैडेट्स OTA में एक से एक फैन्सी कपड़ों से भरे ट्रंक लेकर पहुंची।

जब पुरुषों के साथ महिलाओं को भी स्वीमिंग पुल में उतरने को बोला

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एक इंटरव्यू में प्रिया झिंगन ने बताया कि कुछ महिला कैडेट्स को ऐसा लगता था कि वो महिला है तो उन्हें ट्रेनिंग में छूट दी जाएगी। OTA में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, महिलाओं और पुरुषों की ट्रेनिंग एक जैसी होती थी। OTA में कुछ अजीबो-गरीब घटनाएं भी घटीं। एक बार प्रिया और अन्य महिला कैडेट्स को पुरुष कैडेट्स के साथ ही स्वीमिंग पूल में उतरने के लिए कहा गया। महिलाओं ने तौलिए अच्छे से बांधें और पूल में उतरीं। आखिरकार प्लाटून कमांडर को उन्हें सावधान की मुद्रा में खड़े होने के लिए कहा और तौलिए नीचे गिर गए, महिलाएं फोरवर्ड मार्च करने लगीं। ये कुछ चुनींदा अजीबो-गरीब घटनाओं में से हैं।

ट्रेनिंग के बाद

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Priya Jhingan ने बताया कि उन्हें सेना में किसी भी तरह के भेद-भाव का सामना नहीं करना पड़ा। कड़ी ट्रेनिंग के बाद 6 मार्च, 1993 को प्रिया झिंगन को सेना में पहली पोस्टिंग मिली और उन्हें अहमदाबाद भेजा गया। अहमदाबाद में सिर्फ एक ही वॉशरूम था और प्रिया उसे अन्य पुरुष ऑफिसर्स के साथ शेयर करती। प्रिया अंदर जाने से पहले दरवाजे पर जोर से दस्तक देती लेकिन उन्होंने अपने लिए कभी अलग वॉशरूम की मांग नहीं की।

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एक बार एक नशे में धुत्त जवान प्रिया के कमरे में घुस आया। प्रिया ने उसे अच्छा सबक सिखाया। बाद में जवान का कोर्ट मार्शल कर दिया। JAG अफसर प्रिया झिंगन ने कई कोर्ट मार्शल किए। वो सेना को कानूनी मामलों में राय देंती। वे लीगल-सेल की ऑफिसर इन-चार्ज भी थीं और सिविल कोर्ट में सेना के अफसरों के केस भी लड़ चुकी हैं।

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Priya Jhingan ने बताया कि उनके साथ सिर्फ एक बार भेद-भाव हुआ। लखनऊ सेन्ट्रल कमांड हेडक्वार्टर्स में उनकी पहली पोस्टिंग थी। वहां के जवान उन्हें सैल्यूट नहीं करते थे। प्रिया ने एक प्लान बनाया और वो खुद जवानों को सैल्यूट करने लगी। कुछ दिनों बाद वो लोग भी उन्हें सैल्यूट करने लगे।

सेना के दिन को जिन्दगी के सबसे खुशनुमा दिन मानती हैं प्रिया

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Priya Jhingan 10 साल तक सेना से जुड़ी रहीं और इन दिनों को वो जिन्दगी के सबसे खुशनुमा और खुशहाल दिन मानती है। “एक बार मेरे बॉस (एक ब्रिगेडियर) ने सभी अफसरों को बुलाया और कहा कि ये लेडी तुम सब के लिए ‘मैम’ नहीं ‘सर’ है। उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि सभी मुझे सर बुलाए क्योंकि अफसरों की पत्नियों को ही मैम कहने कहा जाता था।”, प्रिया झिंगन ने कहा। प्रिया झिंगन ने कभी भी अपने पुरुष साथियों को ये महसूस होने नहीं दिया कि उन्हें प्रिया के साथ अलग तरीके से पेश आना है। “सेना के दिन मेरी जिन्दगी के सबसे बेहतरीन दिन थे।”, प्रिया झिंगन ने बताया।

जब पहली बार हुआ भारतीय सेना से सामना

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Priya Jhingan का जन्म  शिमला में हुआ और वे वहीं पली-बढ़ीं। कक्षा 9वीं में प्रिया झिंगन और भारतीय सेना का पहली बार आमना-सामना हुआ। “एक बार राज्यपाल स्कूल में आए और उनके साथ एक भारतीय सेना का अफसर, यानि उनका Aide-De-Camp (ADC) था। उस अफसर को देखकर मेरी सभी सहेलियां कहने लगीं कि वो एक आर्मी ऑफिसर से शादी करेंगी। मैं बिगड़ गई और कहा कि मैं आर्मी अफसर बनूंगी।”, The Indian Express से बात-चीत में प्रिया झिंगन ने बताया। एक पुलिस ऑफिसर की बेटी, प्रिया झिंगन का बचपन से ही मानना था कि लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से पीछे नहीं हैं और मौका मिलने पर वो भी कुछ कर दिखा सकती हैं।