भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री पुरस्कार वापस लौटा दिया है। वीरवार को भारतीय कुश्ती संघ का नया अध्यक्ष संजय सिंह को चुने जाने के बाद शीर्ष पहलवानों में नाराजगी है। जहां एक दिन पहले साक्षी मलिक ने पत्रकारों के बीच कुश्ती से सन्यास लेने का ऐलान किया, वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को बजरंग पुनिया ने अपने पद्मश्री को लौटा दिया है। बताया जा रहा है कि वह देर शाम पीएम आवास पर पद्मश्री देने पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसके बाद वह बाहर फुटपाथ पर ही पुरस्कार रख् वापस लौट गए।
गौरतलब है कि भारतीय शीर्ष पहलवान बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती संघ के नए प्रमुख संजय सिंह के विरोध में अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। बजरंग ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का ऐलान करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। इस खत की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बजरंग ने लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरी स्टेटमेंट है।

सोशल मीडिया पर बजरंग के पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। यह वीडियो प्रधानमंत्री आवास के बाहर का बताया जा रहा है। इस वीडियो में बजरंग पूनिया प्रधानमंत्री आवास के सामने फुटपाथ पर ही अपना पद्मश्री पुरस्कार रखकर वापस लौटते दिखाई दे रहे हैं। वहां मौजूद पुलिस अधिकारी उनसे ऐसा न करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन बजरंग पद्मश्री रखकर वापस लौट जाते हैं। इस बीच खेल मंत्रालय का कहना है कि वह बजरंग से इस फैसले को पलटने के लिए विचार करने की बात कहेंगे।

बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में घोषणा की है कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं। पूनिया ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में बताया है कि आपकी भारी व्यस्तता के बीच वह उनका ध्यान कुश्ती पर दिलवाना चाहते हैं। आपको ज्ञात होगा कि इसी वर्ष जनवरी माह में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर काबिज बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। जब महिला पहलवानों की ओर से आंदोलन की शुरुआत की गई तो वह भी उनमें शामिल हुए, लेकिन हमारी बहन-बेटियों को आज तक न्याय नहीं मिला।

गौरतलब है कि वर्ष 2023 की शुरुआत से भारतीय शीर्ष पहलवानों का एक तबका भारतीय कुश्ती महासंघ में अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की चल रही मनमानी और तानाशाही को लेकर विरोध कर रहा है। बृजभूषण पर महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का भी आरोप है। बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह भाजपा से सांसद है और करीब 12 वर्ष तक भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके बाद पहलवानों के आंदोलन के चलते उन्हें महासंघ से अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा। हालांकि पहलवानों का पिछले 11 महीने से चल रहा आंदोलन पूरी तरह बेअसर रहा। हालांकि वीरवार को अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठाए गए नवनियुक्त अध्यक्ष संजय सिंह भी उनके खेमे के ही हैं। यही कारण है कि बजरंग पूनिया ने अपना पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया है। इससे एक दिन पहले ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक भी कुश्ती से सन्यास लेने का ऐलान कर चुकी हैं।

बता दें कि वीरवार को भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव के बाद पहलवानों के आंदोलन के पूरी तरह बेअसर रह जाने के बाद और केंद्र सरकार द्वारा महिला पहलवानों की शिकायतों पर ध्यान नहीं देने के बाद साक्षी मलिक कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ इस आंदोलन का नेतृत्व बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ही कर रहे थे। जनवरी से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में अब तक बहुत कुछ घटा है।

सुनवाई नहीं हुई तो कोर्ट में जाकर दर्ज करवानी पड़ी एफआईआर
बजरंग पूनिया ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में यह भी बताया है कि बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों पर महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो वह भी उसमें शामिल हुए। आंदोलनरत पहलवान जनवरी माह में अपने घर लौट गए, इस दौरान सरकार ने उन्हें ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन इसके 3 महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं की गई, तब पहलवानों ने अप्रैल में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया। जिससे दिल्ली पुलिस बृजभूषण शरण सिंह पर एफआईआर दर्ज कर सके। फिर भी पहलवानों की सुनवाई नहीं हुई तो उन्हें कोर्ट में जाकर एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी।

बृजभूषण ने अपनी ताकत से 12 महिला पहलवानों को पीछे हटाया
बजरंग पूनिया ने पत्र में बताया कि जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी, जो अप्रैल में पहुंचकर 7 रह गई थी। यानि इन तीन महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला। इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। इस दौरान हम सब पर बहुत दबाव आ रहा। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी।

आपके जिम्मेदार मंत्री के आश्वासन पर हुई न्याय की आस
बजरंग पूनिया ने बताया कि इसके बाद अपने मेडलों को गंगा में बहाने की सोच मन में आई। जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें। जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। उसी दौरान आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया। हमें आश्वासन दिया गया कि हम वापस आ जाएं, हमें न्याय जरूर मिलेगा।

इसी दौरान गृह मंत्री से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वह महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे। कुश्ती संघ से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर किया जाएगा। हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया, क्योंकि सरकार की ओर से कुश्ती संघ का हल निकाला जाएगा। न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी। यह दो बातें हमें तर्कसंगत लगी। बीते 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण का खेमा एक बार फिर अध्यक्ष पद पर काबिज हो गया है। बृजभूषण की ओर से स्टेटमेंट आई कि दबदबा है और दबदबा रहेगा।

यौन शोषण के आरोपी का संघ की इकाई पर फिर दबदबा
पत्र में बजरंग पूनिया ने कहा कि महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती प्रबंधन करने वाली संघ की इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था। इसी मानसिक दबाव में आकर ओलंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया। हम सभी की रात रोते हुए निकली। समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जीएं। सरकार और लोगों ने इतना मान-सम्मान दिया। क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं।