सुप्रीम कोर्ट

Chhattisgarh:  गांव में पिता को दफनाने का अधिकार मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बेटा, 13 दिन से रखा है पादरी का शव

देश

New Delhi छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के छिंदवाड़ा गांव में एक बेटे ने अपने पिता के शव को ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब रमेश बघेल ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उनके पादरी पिता के शव को गांव के कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति नहीं दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए टिप्पणी की कि किसी व्यक्ति को जो किसी विशेष गांव में रहता है, उसे उसी गांव में क्यों नहीं दफनाया जाना चाहिए?  उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि एक व्यक्ति को अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

बघेल ने कोर्ट में अपनी दलील में बताया कि ग्रामीणों ने उनके पिता के शव को दफनाने का विरोध किया और पुलिस ने उन्हें कानूनी कार्रवाई की धमकी दी। इस मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि इस गांव में ईसाइयों के लिए कोई कब्रिस्तान नहीं है और शव को गांव से 20 किलोमीटर दूर दफनाने का सुझाव दिया।

Whatsapp Channel Join

इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि राज्य द्वारा प्रस्तुत हलफनामे से स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता के परिवार के अन्य सदस्यों को गांव में ही दफनाया गया है। गोंजाल्विस ने यह भी कहा कि मृतक को दफनाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

कोर्ट ने इस मुद्दे की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए 22 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई निर्धारित की है।

अन्य खबरें