संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 146 सांसदों के निलंबन रद्द हो गया है। जिसके पीछे का कारण यह रहा कि सर्वदलीय बैठक में विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई और सरकार ने यह स्पष्ट किया कि वह सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। जिसमें कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने असम में हुए हमले और प्रतिबंधों का मुद्दा उठाया और विपक्षी नेताओं का सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग का भी आरोप रहा।
वहीं केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि सरकार ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति से बातचीत करके 146 सांसदों के निलंबन को रद्द करने का निर्णय लिया है और वे 31 जनवरी से सदन में लौटेंगे। इस बड़े निर्णय के बाद सर्वदलीय बैठक में कई पार्टियों के नेता शामिल हुए। जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, कांग्रेस नेता कोडिकुनिल सुरेश, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, डीएमके नेता टीआर बालू, शिवसेना के राहुल शेवाले, एसपी नेता एसटी हसन, जेडीयू के रामनाथ ठाकुर और टीडीपी के जयदेव गल्ला शामिल रहे। बैठक में सरकार ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने की प्रतिबद्धता जताई और सभी पार्टियों से सहयोग की अपील की गई। साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं को सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग का आरोप लगाने की कोशिश भी की गई। बजट सत्र से पहले ही इस सांसदों के निलंबन के मामले में गतिरोध उत्पन्न हुआ। जिसकी विपक्ष ने कड़ी निंदा करते हुए प्रदर्शन किया। इसके परिणामस्वरूप सरकार ने यह निर्णय लिया कि इस विवाद को सुलझाने के लिए सांसदों के निलंबन को रद्द किया जाए।

निर्णय से संसद में आ सकता है बदलाव
बजट के महत्वपूर्ण सत्र में इस बड़े निर्णय से संसद में बदलाव आ सकता है और विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। सरकार ने इस बार सांसदों के सहयोग की अपील की है, ताकि सत्र में सहयोगपूर्ण वातावरण बना रहे और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हो सके। इस समय केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल और अन्य 30 पार्टियों के 45 नेता समय बिता रहे हैं, जिनमें विभिन्न पार्टियों के नेता शामिल हैं। बैठक में चर्चा होने की उम्मीद है और सरकार ने सभी पार्टियों को सहयोग करने का आह्वान किया है। विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग के आरोप लगाने का विरोध किया। जिससे संसद में हंगामा बढ़ सकता है और राजनीतिक माहौल गर्म हो सकता है।

हंगामे को शांति एवं सहमति से सुलझाने का प्रयास जारी
सरकार को विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने का मौका मिल सकता है। जिससे संसदीय प्रक्रिया में सुधार हो सकता है और देश के मुद्दों पर सभी पार्टियों का सामना करना मुमकिन हो सकता है। आखिरकार वित्त मंत्रालय ने बजट की पूरी प्रक्रिया को शुरू किया है। बजट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो देश की आर्थिक स्थिति को दर्शाता है और सरकार के खर्च और आमदनी को निर्धारित करने में मदद करता है। बजट के पेश होने से पहले हलवा सेरेमनी और छपाई प्रक्रिया होती है, जो एक रूपरेखा में दी गई है। बजट के महत्वपूर्ण सत्र में सरकार ने संसद में हंगामे को शांति और सहमति के साथ सुलझाने का प्रयास किया है। संसद में होने वाली चर्चाओं और निर्णयों से देश को एक स्थिर और सकारात्मक दिशा मिल सकती है।


