● कसोल की जर्मन बेकरी से चरस व हैश ब्राउनीज़ जब्त, नेपाली संचालक गिरफ्तार
● फॉरेंसिक रिपोर्ट में पुष्टि हुई – हैश ब्राउनीज़ चरस से बनी थीं
● आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जांच जारी
” दुनिया भर में मशहूर हिमाचल की पर्यटन नगरी कसौल की वादियों में छिपा था एक ‘मीठा जहर’! चाय और ब्राउनी का स्वाद लेने पहुंचने वाले सैलानियों को पता ही नहीं था कि उनकी पसंदीदा जर्मन बेकरी में मिठास के साथ नशे का घातक खेल चल रहा है। एक नेपाली नागरिक द्वारा संचालित यह नामी बेकरी सैलानियों को चरस से बनी हैश ब्राउनीज़ परोस रही थी।
पुलिस ने बेकरी से चरस, हैश ब्राउनीज़ और नशीली सामग्री बरामद की है। शुरुआती जांच में आरोपी को छोड़ दिया गया था, लेकिन जैसे ही फॉरेंसिक जांच में यह पुष्टि हुई कि ब्राउनीज़ में चरस मिला हुआ था – तुरंत गिरफ्तारी की गई और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। एक तरफ हिमालय की शांत वादियाँ और दूसरी ओर उनमें पल रहा नशे का ‘मीठा कारोबार’ – यह खुलासा चौंकाने वाला है, और सवाल खड़े करता है कि आखिर कब तक ‘पर्यटन के नाम पर ज़हर’ परोसा जाएगा?”

जानें पूरा मामला
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कसोल स्थित एक प्रसिद्ध जर्मन बेकरी से मादक पदार्थों की बरामदगी के मामले में फॉरेंसिक पुष्टि के बाद आरोपी नेपाली नागरिक संछलाल मोकतान को गिरफ्तार कर लिया गया है।
यह मामला दिनांक 24 फरवरी 2025 को थाना मणिकरण में एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 के अंतर्गत एफआईआर संख्या 17/25 के तहत दर्ज किया गया था।

प्रारंभिक छापेमारी के दौरान आरोपी संछलाल मोकतान के कब्जे से पुलिस द्वारा 45.71 ग्राम चरस, 5 हैश ब्राउनीज़, ₹840 नकद व एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन जब्त की गई थी। उस समय पुलिस ने आरोपी को नोटिस पर रिहा कर दिया था और जब्त की गई सामग्री को जांच के लिए क्षेत्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (RFSL) भेज दिया गया था।

10 जून 2025 को प्राप्त फॉरेंसिक रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि जब्त की गई पांचों हैश ब्राउनीज़ में चरस का इस्तेमाल हुआ था, जो इसे एनडीपीएस एक्ट के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में लाता है।
फॉरेंसिक पुष्टि मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसी दिन आरोपी को कसोल से गिरफ्तार कर लिया।

आरोपी को माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस अब इस अभियोग की गहराई से जांच कर रही है, जिसमें यह भी पता लगाया जा रहा है कि आरोपी के पास चरस कहां से आई, क्या कोई तस्करी गिरोह शामिल है, और क्या विदेशी पर्यटकों को भी यह अवैध सामग्री परोसी जा रही थी।
इस मामले ने न सिर्फ कसोल जैसे अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट डेस्टिनेशन में नशे के खतरे को उजागर किया है, बल्कि यह भी सवाल खड़े किए हैं कि क्या स्थानीय प्रशासन और अन्य एजेंसियां इन गतिविधियों पर नजर रखने में चूक कर रही हैं।