भारतीयों को धोखाधड़ी से रूस ले जाया गया और उन्हें युद्ध लड़ने के लिए बाध्य किया गया। सूत्रों के मुताबिक चार भारतीयों के साथ पांच लोगों का यह काम है। जो कि सभी अब रूस में हैं।
बता दें कि इनमें मोहम्मद मोइनुद्दीन, रमेश कुमार, खुशप्रीत, जोबी बेन्सम निजिल और नेपात का संतोष शामिल हैं। एक व्यक्ति ने दावा किया है कि मोइनुद्दीन ने उन्हें भर्ती से जुड़ी जानकारी दी थी और फिर उन्हें रूस भेजने के लिए भारत से चुना गया। यह अनुसूचित है कि इन भारतीयों ने युवाओं के साथ धोखा किया है और उनके जीवन को खतरे में डाला है। उन्होंने उम्मीदवारों को सही जानकारी नहीं दी और उन्हें रूसी सेना में नौकरी पाने के लिए फर्जी उम्मीद दिलाई। सूत्रों का कहना है कि इन एजेंटों ने उम्मीदवारों को धोखा देने के लिए उनकी तस्वीरें भेजी और उन्हें रूसी सेना का हिस्सा बनाने के लिए भ्रामक जानकारी दी।

नेपाल-श्रीलंका से भी लोगों को किया जा रहा भर्ती
भारतीयों से समझौते के अनुसार उन्हें रूस की तरफ से युद्ध लड़ने के सैन्य अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाया गया है। जिसके बाद उन्हें यूक्रेन भेजा गया। यह गिरोह पहले नेपाल से लोगों को भी नौकरी पर रखता था, लेकिन नेपाल पुलिस की कार्रवाई के बाद उन्होंने भारतीयों को जाल में फंसाना शुरू किया। उन्होंने श्रीलंका से भी लोगों को भर्ती किया जा रहा है।

ड्रोन हमले में एक भारतीय की मौत
बताया जा रहा हैं कि यूक्रेनी सेना के ड्रोन हमले में पहली बार एक भारतीय की मौत हो गई है। गुजरात के सूरत के हेमिल मंगुकिया को सुरक्षा सहायक की नौकरी का झांसा दिया गया था, लेकिन उन्हें रूसी सेना में कमांडर के रूप में तैनात किया गया था। हेमिल यूक्रेन सीमा के डोनेस्क क्षेत्र में थे, जहां बुधवार को ड्रोन हमला हुआ था, उनकी मौत हो गई, जिसकी सूचना उनके परिवार को दी गई।
