Trinamool Congress MP Mahua Moitra

Mahua Moitra लोकसभा से आउट, संसद सदस्यता हुई रद्द, बोलीं मुझे झुकाने के लिए तोड़े गए हर नियम, आपके अंत की शुरुआत

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तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया। इसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। रिपोर्ट में महुआ को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। फैसले के बाद महुआ मोइत्रा का पहला रिएक्शन सामने आया है। उनका कहना है कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है। मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था और आगे भी उठाती रहूंगी। किसी भी उपहार की नकदी का कोई सबूत नहीं है। यह आपके अंत की शुरुआत है।

लोकसभा से संसद सदस्यता रद्द होने के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा कि मोदी सरकार इतना करने के बाद भी उन्हें चुप नहीं करा सकती है। बता दें कि महुआ की संसद सदस्यता पैसे लेकर सवाल पूछने और लॉग इन आईडी शेयर करने के मामले में खत्म की गई है। लोकसभा से निकाले जाने पर महुआ मोइत्रा ने कहा कि मोदी सरकार यह सोचती है कि मुझे चुप कराकर वह अडानी ग्रुप के मुद्दे से छुटकारा पा सकती है, लेकिन मैं यह बता दूं कि इस कंगारू कोर्ट ने जो किया, उसे पूरे देश ने यह देखा है कि आखिर अडानी ग्रुप का मुद्दा कितना अहम है। गौरतलब है कि संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता को रद्द करने के लिए प्रस्ताव को सदन में पेश किया, जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई।

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महुआ मोइत्रा ने कहा कि मैंने लॉग इन पोर्टल के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया है, लेकिन भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली को संसद भवन में ही धर्मसूतक शब्द बोलें। दानिश 26 मुस्लिम सांसदों में से एक हैं। देश में 200 मिलियन मुस्लिम रहते हैं, लेकिन सिर्फ 26 सांसद हैं, जबकि भाजपा के पास 303 सांसद हैं और उनका एक सांसद भी मुस्लिम नहीं है।

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आचार समिति और रिपोर्ट ने सभी नियमों को तोड़ा

निष्कासित होने के बाद तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि लोकसभा की आचार समिति, इसकी रिपोर्ट ने सभी नियमों को तोड़ा है। यह हमें झुकने के लिए मजबूर करने का एक हथियार है। मुझे उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है।

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उन्होंने कहा कि आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य, स्वीकृत है और जिसे प्रोत्साहित किया गया है। आचार समिति के निष्कर्ष पूरी तरह से दो व्यक्तियों की लिखित गवाही पर आधारित हैं। जिनके कथन असल में एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं।

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9 नवंबर को बैठक में स्वीकार की गई थी सिफारिश रिपोर्ट

बता दें कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ सवाल पूछने के लिए पैसे और महंगे गिफ्ट लिए हैं। इस बाबत भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकार की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक की थी।

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इस बैठक में पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने के मामले में महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने वाली सिफारिश रिपोर्ट को स्वीकार किया था। समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थी।

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समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति जताई थी। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को फिक्स्ड मैच करार दिया था। उनका कहना था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत में दम नहीं है।

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समिति ने तैयार की थी 500 पेज की रिपोर्ट

गौरतलब है कि समिति की ओर से 500 पेज की रिपोर्ट तैयार की गई थी। इसमें संसद की गरिमा को बचाने व राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्व देने के लिए कई अहम सिफारिश की गई थीं। महुआ पर रिश्वत लेकर अदाणी समूह के खिलाफ कारोबारी हीरानंदानी को लाभ पहुंचाने के लिए सवाल पूछने के आरोप हैं।

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महुआ मोइत्रा ने स्वयं स्वीकार किया था कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के पोर्टल से जुड़ी अपनी आईडी-पासवर्ड साझा किए थे। हीरानंदानी ने महुआ को रिश्वत देने की बात स्वीकारी थी।