हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का दिन बहुत ही खास और शुभ माना जाता है। यह त्योहार हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। शिव पुराण के अनुसार चौदा व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से शुभ फल की प्राप्ति होती है। शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक पर्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का व्रत रखने से उनका आर्शीवाद प्राप्त होता है।
साल 2024 की पहली मासिक शिवरात्रि 9 जनवरी मंगलवार के दिन पड़ रही है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से मनुष्य के सभी कार्य आसान हो जाते है। मासिक त्योहार में शिवरात्रि व्रत और पूजा का बहुत महत्व है। हिंदु पंचांग के अनुसार इसकी शुरुआत 9 जनवरी को नए साल की पहली शिवरात्रि की निशिता पूजा के लिए 54 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा है। जनवरी में शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 12:02 एएम से 12:55 एएम तक है। शिवरात्रि की पूजा आप दिन में भी कर सकते हैं। शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त से ही मंदिरों में पूजा पाठ शुरू हो जाती है।
नए साल 2024 की पहली शिवरात्रि

पंचांग के अनुसार देखा जाए तो इस नए साल की पहली शिवरात्रि पौष माह की है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 9 जनवरी मंगलवार को रात 10 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी। इस तिथि की समाप्ति 10 जनवरी बुधवार को रात 08 बजकर 10 मिनट पर होगी। निशिता पूजा मुहूर्त के आधार पर नए साल 2024 की पहली शिवरात्रि 9 जनवरी को मनाई जाएगी।
मासिक शिवरात्रि की व्रत विधि
हर महीने आने वाले कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव को समर्पित है। जो भक्त मासिक शिवरात्रि करने की इच्छा रखते है। उन्हें मासिक शिवरात्रि का प्रारम्भ महाशिरात्रि के दिन से करना चाहिए। इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों कर सकते है। श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए। मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सुर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिक और नंदी की पूजा करें।

सबसे पहले आप शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से करें। अब आप शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। ध्यान रखें कि बेलपत्र अच्छी तरह से साफ किये होने चाहिए। भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें। शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्र्लोक का पाठ करें। संध्या के समय आप फलहार कर सकते है। उपासक को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें।
मासिक शिवरात्रि पर अद्भुत संयोग
इस महीने मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत ही दिन पड़ रहे हैं। मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत का अद्भुत संयोग शिव भक्तों के लिए बेहद खास है क्योंकि प्रदोष और मासिक शिवरात्रि व्रत दोनों ही शिव के प्रिय माने गए हैं। जब प्रदोष और मासिक शिवरात्रि व्रत एक ही दिन आते हैं तो व्रत करने वालों को भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।