onai nation onai ailaichtion : raamanaath kovind kee adhyakshata mein kametee gathit

One nation one election : रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी गठित, पूर्व राष्ट्रपति होंगे अध्यक्ष, जल्द जारी होगा नोटिफिकेशन

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केंद्र की मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव की दिशा में तेजी के साथ आगे बढ़ते हुए एक कमेटी का गठन किया है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे। कमेटी की ओर से कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। इस कमेटी के सदस्यों को लेकर आज ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। यानि जल्द ही इस कमेटी के अन्य सदस्यों के नाम की जानकारी साझा की जा सकती है।

केंद्र सरकार ने एक देश एक चुनाव की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। कमेटी में कौन- कौन सदस्य शामिल होंगे, इसका नोटिफिकेशन आज ही जारी कर दिया जाएगा। यह कदम सरकार की ओर से 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद आया है। जिसका एजेंडा गुप्त रखा जाएगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते कुछ वर्षों से लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की वकालत मजबूती से करते आए हैं। अब इस विषय पर विचार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कमेटी का अध्यक्ष बनाकर जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह कदम चुनावी दृष्टिकोण के मेजबान के रूप में सरकार की गंभीरता को प्रदर्शित करता है।

केंद्र सरकार के फैसले ने फिर अटकलों को किया ताजा

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बता दें कि नवंबर और दिसंबर माह में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके बाद मई-जून 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे। ऐसे में केंद्र के इस फैसले ने एक बार फिर उन अटकलों को ताजा कर दिया है कि इस बार लोकसभा चुनाव वक्त से पहले हो सकते हैं। जिसको लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। जिसके कई अहम बिल पेश किए जा सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार विशेष सत्र में सरकार एक देश एक चुनाव के साथ यूनिफॉर्म सिविल कोड और महिला आरक्षण का बिल ला सकती है। वहीं संसद के इस विशेष सत्र को लेकर तमाम प्रकार की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

11 अगस्त को खत्म हुआ मानसून सत्र

बता दें कि हाल ही में 11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र की कार्यवाही समाप्त हुई थी। मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होकर करीब 20 से ज्यादा दिन तक सत्र की कार्यवाही चली। संसद का मानसून सत्र इस बार काफी हंगामेदार भी रहा। जिसमें मणिपुर और दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र की ओर से लाए गए अध्यादेश पर ज्यादा हंगामा हुआ।

देश में पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव

बता दें कि देश में पहले भी वर्ष 1951-1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराए जा चुके हैं। संवैधानिक विशेषज्ञ के अनुसार अगर एक देश एक कानून बिल को लागू किया जाता है तो इसके लिए संविधान में कम से कम 5 संशोधन किए जाने चाहिए। बता दें कि संसद के मानसून सत्र के दौरान कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बताया था कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के व्यावहारिक रोडमैप और रूपरेखा तैयार करने के लिए मामले को जांच के लिए विधि आयोग के पास भेज दिया गया है।

विपक्ष के जल्द आम चुनाव के दावे पर मोहर लगने की संभावना

बता दें कि विपक्ष की ओर से कुछ दिन पहले मोदी सरकार पर इस बार आम चुनाव समय से पहले करवाने की बात कही गई थी। विपक्ष का दावा था कि मोदी सरकार इस बार आम चुनाव समय से पहले करा सकती है। अब इस बात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि केंद्र सरकार जनवरी या फरवरी में लोकसभा चुनाव करवाने की तैयारी कर सकती है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से दिए गए बयान के बाद इन चर्चाओं को मजबूती मिलती नजर आ रही है। ममता बनर्जी और नीतीश कुमार का बयान में कहना था कि केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा चुनाव को समय से पहले करवा सकती है।

कमेटी गठित होते ही कांग्रेस ने जताया विरोध

केंद्र सरकार की ओर से विशेष सत्र को लेकर कमेटी गठित करने के फैसले की जानकारी मिलते ही कांग्रेस पार्टी की ओर से विरोध जताया गया है। कांग्रेस का कहना है कि आखिर पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की क्या जल्दी है? देश में महंगाई, बेरोजगारी समेत कई मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को पहले कार्यवाही करनी चाहिए। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीयत साफ नहीं है। वहीं AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार के इस फैसले पर विरोध जताया है।