मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। इसमें 39 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। जिनमें कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा गया है। भाजपा ने सतना से सांसद गणेश सिंह को टिकट दिया गया है। गणेश सिंह का नाम सामने आते ही सतना में पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल बज चुका है। गणेश सिंह के नाम पर मोहर लगने के बाद भाजपा उम्मीदवारों की दौड़ में चल रहे एक नेता ने अब निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
वहीं भाजपा की दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद ऐसे ही हालात सीधी जिले में नजर आ रहे हैं। इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे डॉ. राजेश मिश्रा ने भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य पद से अपना त्याग पत्र दे दिया है। भाजपा ने सोमवार को दूसरी लिस्ट में जिन 39 सीटों पर नामों का ऐलान किया है। उनमें से 36 सीटें पार्टी वर्ष 2018 के चुनाव में हार चुकी है, जबकि 3 सीटों पर भाजपा का दबदबा है। इनमें मैहर से नारायण त्रिपाठी, सीधी से केदारनाथ शुक्ला और नरसिंहपुर से जालम सिंह पटेल का टिकट काटा गया है। वहीं भाजपा ने 3 केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों को टिकट दिया है। 3 केंद्रीय मंत्रियों के अलावा भाजपा जिन चार सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहती है, उनमें जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, सतना से गणेश सिंह, सीधी से रीति पाठक और गाडरवारा से उदय प्रताप सिंह को उम्मीदवार पद के लिए चुना गया है। केंद्रीय मंत्रियों में मुरैना की दिमनी सीट से नरेंद्र सिंह तोमर, नरसिंहपुर की जगह प्रह्लाद पटेल और निवास की बजाय फग्गन सिंह कुलस्ते को प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर विधानसभा क्रमांक 1 से टिकट देकर प्रत्याशी बनाया गया है।

मध्यप्रदेश में 15 माह में ही गिर गई थी कांग्रेस सरकार, कई विधायकों ने थामा था भाजपा का दामन
वर्ष 2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 230 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से दो कम 114 सीटें मिलीं थीं, जबकि भाजपा के खाते में 109 सीटें आई थीं। इनके अलावा बसपा को दो, जबकि अन्य को पांच सीटें मिली थीं। तब कांग्रेस पार्टी ने बसपा, सपा और अन्य का साथ लेकर मध्यप्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। साथ ही कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में 15 साल बाद सत्ता पाई थी और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था। इसके बाद यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं टिक पाया। मार्च 2020 में ही कांग्रस की सरकार गिर गई। कांग्रेस ने दिसंबर 2018 से मार्च 2020 तक अपनी सरकार को चलाया।
उधर 15 महीनों के बीतते-बीतते कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई तय हो गई और कई विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद फिर भाजपा ने सत्ता में अपनी वापसी की। शिवराज सिंह चौहान को दोबार मुख्यमंत्री के पद पर बैठाया गया। बता दें कि भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक 13 सितंबर को हुई थी। बैठक में भाजपा की दूसरी लिस्ट को हरी झंडी दी गई थी। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे। वहीं अब दावेदारों की तरफ से भाजपा की दूसरी लिस्ट का विरोध जारी हो गया है।
टिकट कटने से नाराज हुए रत्नाकर चतुर्वेदी, निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव
सूत्रों के अनुसार भाजपा नेता रत्नाकर चतुर्वेदी टिकट की दौड़ में शामिल थे। सर्वे में जिन तीन दावेदारों का नाम शामिल था, उनमें रत्नाकर का नाम भी शामिल था। बाद में रत्नाकर की टिकट को काटे जाने से वह पार्टी से नाराज हो चुके हैं। रत्नाकर चतुर्वेदी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने एक वीडियो जारी कर पार्टी और सांसद गणेश सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
भाजपा नेता रत्नाकर चतुर्वेदी ने कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि कोरोना काल के दौरान कोई लोगों की सेवा के लिए आगे नहीं आया, जबकि वह लोगों की सेवा में तत्पर रहे। चतुर्वेदी ने दुख जताते हुए कहा कि पार्टी ने मेरी मेहनत का मुझे यह फल दिया है, उसका तहे दिल से शुक्रिया। अगर जनता की इच्छा होगी तो मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा।
गृहमंत्री के रिश्तेदार हैं रत्नाकर, भाजपा से जुड़े हैं पिता
भाजपा से बगावत करने वाले रत्नाकर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के रिश्तेदार हैं। वह भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष और सहकारी बैंक के चेयरमैन भी रह चुके हैं। रत्नाकर के पिता कमलाकर चतुर्वेदी भी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वह लंबे समय तक केंद्रीय सहकारी बैंक के चेयरमैन रहे हैं। बता दें कि रत्नाकर को आरक्षक के साथ मारपीट करने के आरोप में एक साल की सजा हो चुकी है। वहीं गणेश सिंह ने विधानसभा उम्मीदवार चुने जाने पर पार्टी का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर पार्टी हर कार्यकर्ता की भूमिका शुरू से तय करती आ रही है।
स्थानीय को छोड़ बाहरी प्रत्याशी को टिकट, विरोध में आए भाजपा के वरिष्ठ नेता
भाजपा ने छतरपुर में राजनगर से अरविंद पटेरिया को टिकट दिया है, अरविंद वीडी शर्मा के बहुत करीबी माने जाते हैं। जिससे अरविंद पटेरिया को टिकट मिलने का पूरा श्रेय वीडी शर्मा को जाता है। अब चर्चाएं हैं कि अगर अरविंद चुनाव हार जाते हैं तो उससे वीडी शर्मा की छवि खराब हो सकती है, जबकि यहां से दो प्रबल और भाजपा के वरिष्ठ नेता दावेदार थे। जिनमें एक वर्तमान जिलाध्यक्ष मलखान सिंह तो दूसरे पूर्व जिलाध्यक्ष घासीराम पटेल के नाम पर टिकट की दावेदारी मानी जा रही थी। अब इन्हें टिकट न मिलने से यह अंदर खाने भाजपा प्रत्याशी के विरोध में जा सकते है। उधर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अरविंद पटेरिया का विरोध करना शुरू कर दिया है। भाजपा नेता प्रकाश पांडे का कहना है कि उन्हें बाहरी प्रत्याशी नहीं, बल्कि स्थानीय प्रत्याशी चाहिए।