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साल का आखिरी और दूसरा सूर्य ग्रहण आज, क्या रहेगा सही समय, इन राशियों को मिलेगा लाभ

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14 अक्तूबर यानि आज जब शनिचरी अमावस्या है और पितृ पक्ष का आखिरी दिन। ऐसे में सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। यह इस साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। इससे पहले साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगा था। हालांकि, भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा। यानि पहले सूर्य ग्रहण की तरह यह भी भारत में नहीं दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी अमेरिका के कई हिस्सों में दिखाई देगा। यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, यानी इसके कारण आसमान में आग की एक रिंग आकृति दिखाई देगी। आसमान में यह अद्भुत नजारा होगा।

बताया जा रहा है कि, भारतीय समय के अनुसार, रात में 8 बजकर 34 मिनट से यह ग्रहण शुरू होगा, जो मध्य रात्रि 2 बजकर 25 मिनट पर जाकर समाप्त होगा। यानी ग्रहण की अवधि 5 घंटे 51 मिनट की होगी। ग्रहण समाप्त होने के बाद अगले दिन सुबह शारदीय नवरात्र की शुरुवात हो रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अश्विन मास की अमावस्या तिथि को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगेगा। यह ग्रहण कुछ राशियों पर अपना प्रभाव डालेगा। हालांकि कुछ राशियों के लिए यह ग्रहण बहुत शुभ रहने वाला है।

सूर्य ग्रहण को क्यों कहते हैं रिंग ऑफ फायर, इन राशियों को मिलेगा फायदा

वलयाकार सूर्य ग्रहण शनिवार को लगने जा रहा है। यह नजारा तब नजर आता है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इसमें सूर्य आग के छल्ले के समान नजर आता है। जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। ज्योतिषी के अनुसार सूर्य ग्रहण से मिथुन, तुला और वृश्चिक राशि वालों को अच्छा लाभ मिलेगा। इस दिन बनने वाले त्रिग्रही योग से इन राशियों के जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ेगी। समाज में मान-सम्मान मिलने के साथ धन लाभ के नए स्त्रोत भी खुलेंगे।

सूर्य 1

क्या सूर्य ग्रहण देखना चाहिए?

अध्यात्म के अनुसार सूर्य पर लगे ग्रहण की घटना को नहीं देखना चाहिए। हालांकि, साइंस के अनुसार सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है लेकिन इस दौरान सुरक्षा का पालन करना जरूरी है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सूर्य ग्रहण को देखने के दौरान आंखों की सुरक्षा बहुत जरूरी है। विशेष चश्मे, फिल्टर के जरिए सूर्य ग्रहण देखना चाहिए। सुरक्षा का ध्यान न रखने से आंखों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।

क्यों लगता है सूर्य ग्रहण

पृथ्वी पर हमें दो तरह के ग्रहण दिखते हैं। एक होता है सूर्य ग्रहण और दूसरा होता है चंद्र ग्रहण। साइंस के अनुसार चांद और सूर्य के बीच में जब पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण होता है। वहीं जब चांद पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाये तो सूर्य ग्रहण होता है। वहीं वलयाकार सूर्य ग्रहण की अगर बात करें तो इस घटना के दौरान चंद्रमा के पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाने के कारण सूर्य का कुछ हिस्सा ढक जाएगा। यानि सूर्य के बाहरी किनारों को छोड़कर लगभर पूरा हिस्सा ढक जाएगा। इसी वजह से आसमान में एक जलता हुआ आग का गोला दिखाई देगा। मतलब एक रिंग आकृति।

ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या नहीं?

अध्यात्म के अनुसार, ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को पैरों को मोड़कर नहीं बैठना चाहिए। ग्रहण के दौरान उन्हे घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचकर घर में रहना चाहिए। अगर घर में गाय-भैंस जैसे पालतू जनवार हैं तो उन्हें भी अंदर ही रखें। इसके साथ ही ग्रहण के दौरान सुई में धागा नहीं डालना चाहिए।

सूर्य

किसी भी प्रकार की सामग्री को काटना या छीलना नहीं चाहिए। कुछ छौंकना नहीं चाहिए। खाना-पीना से परहेज करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के समय सोना वर्जित माना गया है। ग्रहण के दौरान शांति रखनी चाहिए और भगवान का भजन करना चाहिए। साथ ही सूर्य ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें। सूतक काल शुरू होने से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्ता या कुश डाल दें। ग्रहण के दौरान अधिक से अधिक मंत्रों का जाप और देवी-देवताओं का स्मरण करें।

ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करें?

ग्रहण के खत्म होने के बाद मकान, पूजा घर, दुकान, प्रतिष्ठान की साफ सफाई कर अच्छे से धुलाई करें। संभव हो तो पूरे घर को नमक के पानी से धोएं। इसके बाद खुद भी स्नान कर देवी देवताओं को स्नान कराएं। इसके बाद खाद्य पदार्थों पर गंगाजल छिड़क कर उनको शुद्ध करें और फिर सेवन करें।