मध्य प्रदेश के Sehore जिले के किसानों ने अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के साथ ट्रैक्टर मार्च के साथ रैली निकाली । किसानों का कहना है कि फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है ।बीमित फसलों के खराब होने की स्थिति में किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिल रहा है लेकिन किसानों के खातों से बीमा राशि के पैसे जरुर काटे जा रहे हैं जो किसानों के साथ सरासर अन्याय है। जिला प्रशासन और राज्य सरकार की ओर से उन्हें कोई ठोस समाधान नहीं मिला है।
अनोखे आंदोलनों का सहारा
बता दें कि पिछले काफी समय से मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के कई गांवों के किसान, समाजसेवी और किसान नेता MS मेवाड़ा के नेतृत्व में फसलों के उचित मूल्य न मिलने, बीमा राशि न मिलने और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। किसानों ने अपनी समस्याओं को सरकार तक पहुँचाने के लिए अनोखे तरीके से प्रदर्शन किए हैं।
मांगों और समस्याओं को सरकार तक पहुँचाने की कोशिश
किसानों ने अपनी आवाज़ उठाने के लिए कई दिनों तक विभिन्न गांवों में आंदोलन किए हैं। इनमें से एक प्रमुख आंदोलन गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित ट्रैक्टर मार्च था, जिसमें किसानों ने तिरंगा झंडा के साथ रैली निकाली। इस दौरान सीहोर के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों ने पेड़ों पर चढ़कर घंटी बजाने से लेकर डांडिया नृत्य तक के अनोखे प्रदर्शन किए। इन आंदोलनों के माध्यम से किसान अपनी मांगों और समस्याओं को सरकार तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं।
किसानों को नहीं मिल रहा फसलों का उचित दाम
मुख्य मुद्दा यह है कि किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है और अतिवृष्टि के कारण उनकी सोयाबीन फसलें खराब हो जाती हैं, लेकिन उन्हें बीमा राशि नहीं मिल रही है। किसान यह भी कहते हैं कि जबकि उनकी बीमा राशि को उनके बैंक खातों से काट लिया जाता है, जब फसल खराब होती है तो उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती।
इसके अलावा, किसानों की ज़मीन का अधिग्रहण भी किया जा रहा है और बड़ी कंपनियों को दी जा रही है, जिससे किसानों की स्थिति और भी खराब हो रही है। किसानों का कहना है कि सरकारी तंत्र उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रहा है, और वे यह महसूस कर रहे हैं कि सरकार और जिला प्रशासन उनकी परेशानियों के प्रति गंभीर नहीं है। इस स्थिति में, किसान अपनी आवाज़ को अनोखे प्रदर्शन और आंदोलनों के माध्यम से उठाकर अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं।
किसानों की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है
एमएस मेवाड़ा ने इस आंदोलन को नेतृत्व दिया है, और उन्होंने इस संघर्ष को किसानों के अधिकारों की रक्षा के रूप में देखा है। उनका मानना है कि यदि इन मुद्दों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो किसानों की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। इस आंदोलन में सीहोर के किसानों के अलावा, अन्य राज्यों के किसान जैसे हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं, जो इस संघर्ष को एक राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन का रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।
देशभर के किसानों को एकजुट करने का भी प्रयास
यह आंदोलन न केवल किसानों के हक की लड़ाई है, बल्कि देशभर के किसानों को एकजुट करने का भी प्रयास है। किसान व समाजसेवी एमएस मेवाड़ा, जो ग्राम चंदेरी से हैं को उन्हें उम्मीद है कि उनके संघर्ष से सरकार तक किसानों की आवाज़ पहुँच सकेगी। उनका मानना है कि सरकार को किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो सके।