सूर्य देव जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते है तो उसे संक्रांति कहते है। हर महीने सूर्य एक से दूसरी राशि में प्रवेश करते है। माघ मास में कुंभ संक्रांति मनाई जाती है। इस दौरान पूजा-पाठ करने मात्र से ही यम, सूर्य पूजा करने मात्र से ही व्यक्ति को सुक-सौभाग्य, ब्रह्म् लोक की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य की देव की उपासना से आरोग्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। फरवरी में सूर्य कुंभ राशि में गोचर करने वाले हैं। ऐसे में इस दिन कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी।
इस साल कुंभ संक्रांति 13 फरवरी दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार इस विशेष दिन पर गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति और इष्ट देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन स्नान, दान और पूजा का खास महत्व है।

कुंभ संक्रांति 2024 मुहूर्त
कुंभ संक्रान्ति पुण्य काल – सुबह 09:57 – सुबह 15:54, अवधि – 05 घण्टे 56 मिनट्स
कुंभ संक्रान्ति महा पुण्य काल – दोपहर 02:02 – दोपहर 03:54, अवधि – 01 घण्टा 51 मिनट्स
शुभ मुहूर्त का चौघड़िया
चर (सामान्य) – सुबह 09.49 – सुबह 11.12
लाभ (उन्नति) – सुबह 11.12 – दोपहर 12.35
अमृत (सर्वोत्तम) – दोपहर 12.35 – दोपहर 01.59

कुंभ संक्रांति पूजा विधि
कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने की परंपरा है। अगर ऐसा ना हो सके तो घर में ही सुबह-सवेरे स्नान कर लें। स्नान के बाद पानी में गंगा जल और तिल मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद मंदिर में दीप जलाएं। भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें और सूर्य चालीसा का पाठ करें।
कुंभ संक्रांति महत्व
पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी होता है> कुंभ संक्रांति के दिन जब सूर्य देव अपने पुत्र शनि की राशि कुंभ में रहते हैं तो इस दिन स्नान करने के बाद मान-सम्मान में वृद्धि, अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुंभ संक्रांति पर गेहूं, गुड़, लाल फूल, लाल वस्त्र, तांबा, तिल आदि का दान कर सकते हैं। सूर्य के मजबूत होने से करियर में तरक्की मिलती है, पिता का प्यार और सहयोग प्राप्त होता है। राजनीति करने वालों के लिए बड़े पद की प्राप्ति का योग बनता है।
मकर संक्रांति की तरह है कुंभ संक्रांति

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। यही वजह है कि इस दिन स्नान, दान और सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि अगर सूर्य देव प्रसन्न हो जाएं, तो हर क्षेत्र में सफलता जरूर मिलती है। मकर संक्रांति की तरह कुंभ संक्रांति के दिन भी दान करने की बहुत पुरानी परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस पर्व पर काले तिल और उससे बनी चीजों का दान करते हैं उन्हें सूर्य देव के साथ भगवान शनि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।