शनि जयंती पर साढ़ेसाती और दोष से मिलेगी मुक्ति जानें उपाय

शनि जयंती पर साढ़ेसाती और दोष से मिलेगी मुक्ति, जानें उपाय

पंचांग एवं राशिफल
  • 27 मई 2025 को शनि जयंती शुभ योगों में मनाई जा रही है, जो ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर पड़ती है।
  • इस दिन शनि दोष, साढ़ेसाती व ढैय्या से राहत के लिए विशेष पूजा विधि और मंत्रों से पूजन किया जाता है।
  • पूरे दिन विभिन्न शुभ योगों जैसे मालव्य योग, बुधादित्य योग, सुकर्मा, द्विपुष्कर व सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं।

Shani Jayanti 2025: 27 मई 2025 को शनि जयंती का पावन पर्व शुभ योगों में मनाया जा रहा है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को शनिदेव का प्राकट्य हुआ था, जो न्याय और कर्मफल के अधिपति माने जाते हैं। इस दिन व्रत व विशेष पूजा करने से साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष जैसे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

इस वर्ष अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से शुरू होकर 27 मई को रात 8:31 बजे तक है। उदया तिथि मान्य होने के कारण आज मंगलवार को शनि जयंती मनाई जा रही है। शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव का जन्म सूर्य देव और उनकी छाया पत्नी संवर्णा (छाया) से हुआ था।

इस दिन पूजन मुहूर्त सुबह 5:26 से दोपहर 12:47 बजे तक है। इस समय के दौरान शनिदेव की विधिवत पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

Whatsapp Channel Join

विशेष शुभ योग:इस बार शनि जयंती पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं –

  • शनिदेव मीन राशि में, शुक्र उच्च राशि में – मालव्य राजयोग
  • सूर्य-बुध की युति वृषभ मेंबुधादित्य योग
  • सुकर्मा योग, द्विपुष्कर योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है।

पूजा विधि:

  1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, काले या नीले वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  2. तांबे या लोहे की थाली में शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. गणेश पूजन के बाद शनिदेव को जल व पंचामृत से स्नान कराएं।
  4. काले तिल, सरसों का तेल, नीले फूल, नीले वस्त्र अर्पित करें।
  5. सरसों तेल का दीपक जलाकर शनि मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
  6. शाम को फिर आरती करें और शनि मंदिर जाकर सरसों तेल से भरी कटोरी में चेहरा देखकर दान करें।

पूजन सामग्री:

सरसों का तेल, काले तिल, नीले फूल, काले/नीले वस्त्र, लोहा, दीपक, धूपबत्ती, काली उड़द, नारियल, फल आदि।

शनि मंत्र:

  • बीज मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नमः (108 बार जप करें)
  • वैदिक मंत्र:
    नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
    छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
  • तांत्रिक मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

श्री शनि देव आरती (मुख्य अंश):

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी।।

मोदक मिष्टान पान चढ़त है सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी।।