Bihar के CM नीतीश कुमार की पार्टी जनतादल यूनाइटेड (जेडीयू) ने मणिपुर में भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस कदम से बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों पर असर पड़ सकता है। मणिपुर में जारी हिंसा और कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को इस फैसले का एक कारण माना जा रहा है।
जेडीयू का निर्णय भाजपा के लिए बड़ा झटका
मणिपुर विधानसभा में भाजपा के पास 32 सीटें हैं, जो बहुमत से ज्यादा हैं। जेडीयू के 6 विधायक थे, जो अब भाजपा सरकार का हिस्सा नहीं रहेंगे। हालांकि, जेडीयू का समर्थन वापस लेने से मणिपुर सरकार पर तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन इस फैसले के दूरगामी राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं। मणिपुर में एन बीरेन सिंह भाजपा के मुख्यमंत्री हैं, जिन पर विपक्ष लगातार हिंसा को नियंत्रित न कर पाने के आरोप लगा रहा है।

बिहार चुनाव पर पड़ सकता है असर
बिहार विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर के आसपास होने की संभावना है। नीतीश कुमार का यह कदम भाजपा पर सीट बंटवारे के लिए दबाव बनाने की रणनीति मानी जा रही है। यह सवाल उठ रहा है कि बिहार चुनाव में जेडीयू और भाजपा का गठबंधन जारी रहेगा या नहीं।
मणिपुर की हिंसा का बिहार की राजनीति पर प्रभाव
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसक झड़पों के बाद जेडीयू का यह निर्णय बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है। जेडीयू के इस कदम के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और भाजपा के रिश्ते कैसे विकसित होते हैं। क्या यह गठबंधन टूटेगा या फिर कोई नया राजनीतिक समीकरण बनेगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
नए समीकरण का संकेत?
नीतीश कुमार का यह कदम मणिपुर की हिंसा का असर बिहार में दिखने का संकेत है। यह एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जो बिहार के चुनावी माहौल को प्रभावित करेगा।