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BJP 42 सीटों पर कर रही हार के कारणों की समीक्षा, पुराने कार्यकर्ताओं और आरएसएस से लिया फीडबैक

राजनीति हरियाणा

BJP ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई है। इसके बावजूद बीजेपी को 90 विधानसभा सीटों में से 42 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। हार के कारणों का पता लगाने के लिए भाजपा ने हारे हुए जिलाध्यक्षों, पुराने कार्यकर्ताओं, उम्मीदवारों और आरएसएस से फीडबैक लिया। एक महीने की समीक्षा के बाद प्रदेश भाजपा इकाई ने रिपोर्ट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी है।

भाजपा के संगठन में बदलाव की योजना तैयार की जा रही है। यह बदलाव प्रदेश में सदस्यता अभियान पूरा होने और संगठन के पुनर्गठन के दौरान किए जाएंगे। इस दौरान जिलाध्यक्ष से लेकर जिला इकाई तक में बदलाव किए जाने की संभावना है। पार्टी में सक्रिय नहीं दिखने वाले नेताओं को किनारे किया जाएगा, और इसमें आरएसएस की रिपोर्ट की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

संगठन में बड़े बदलाव की संभावना

हार के कारणों में एक बड़ा कारण टिकट वितरण को भी माना जा रहा है। स्थानीय नेताओं की उपेक्षा से पार्टी के कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा हुआ, जिससे पार्टी के खिलाफ गलत संदेश गया और कार्यकर्ता निष्क्रिय हो गए। भाजपा के सह-प्रभारी बिप्लब देब ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष से हार की समीक्षा पर चर्चा की थी।

रिपोर्ट में पार्टी की कमजोरी के प्रमुख कारणों का उल्लेख किया गया है और आने वाले समय में संगठन में बड़े बदलाव की संभावना है। भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री फणींद्र नाथ शर्मा ने बताया कि पार्टी हार की समीक्षा लगातार करती रहती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनावों में भी हारे हुए सीटों पर समीक्षा की गई और रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को दी गई है।

इन वजह से करना पड़ा हार का सामना

पार्टी ने कई सीटों पर पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया, जबकि दूसरे दलों के नेताओं को अंतिम समय में पार्टी में शामिल किया गया। भाजपा के खिलाफ प्रदेश में एंटी इनकम्बेंसी की भावना थी, जिससे चुनावी नतीजों पर असर पड़ा। किसान आंदोलन के चलते भाजपा को जाट और किसान वर्ग से वोटों की हानि हुई, विशेषकर रोहतक, सिरसा और फतेहाबाद में।

कुछ सीटों पर टिकट वितरण में गलत फैसले हुए, जिससे भाजपा को नुकसान हुआ। मेवात क्षेत्र में भाजपा को मुस्लिम मतदाताओं से विरोध का सामना करना पड़ा, जहां बीजेपी की स्थिति कमजोर रही। भाजपा प्रदेश के 5 जिलों में कोई भी सीट नहीं जीत पाई, जिनमें नूंह, सिरसा, झज्जर, रोहतक और फतेहाबाद शामिल हैं। इन जिलों में कुल 19 विधानसभा सीटें थीं, जहां भाजपा को निराशाजनक परिणाम मिले।

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