हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ED ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मेसर्स ईमार इंडिया लिमिटेड (EMAAR), MGF डेवलपमेंट लिमिटेड, और अन्य आरोपियों की 834 करोड़ रुपए की संपत्तियों को कुर्क कर लिया है। ये संपत्तियां गुरुग्राम और दिल्ली के 20 गांवों में फैली हुई हैं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग (DTCP) के तत्कालीन डायरेक्टर त्रिलोक चंद गुप्ता के साथ मिलकर सस्ते दामों पर जमीनें हड़प लीं। इसका नतीजा यह हुआ कि जमीन मालिकों और सरकार को भारी नुकसान हुआ। 6 साल पहले, गुड़गांव में 1,417 एकड़ भूमि के अधिग्रहण में भ्रष्टाचार के आरोप में CBI ने हुड्डा के खिलाफ मामला दर्ज किया था। CBI ने केस दर्ज करने के बाद हुड्डा के रोहतक स्थित घर सहित दिल्ली, गुड़गांव, चंडीगढ़ और मोहाली में कई जगहों पर छापे मारे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने CBI को सौंपी जांच
गुड़गांव के सेक्टर 58 से 63 और 65 से 67 में भूमि अधिग्रहण में हुई गड़बड़ी की जांच सुप्रीम कोर्ट ने 1 नवंबर 2017 को CBI को सौंपी थी। इस मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, त्रिलोक चंद गुप्ता, मेसर्स ईमार एमजीएफ लैंड लिमिटेड, और 14 अन्य कॉलोनाइजर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।
जमीन मालिकों के साथ धोखाधड़ी
इस मामले में कई जमीन मालिकों और आम जनता के साथ धोखाधड़ी का आरोप है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 और धारा 6 के तहत जारी अधिसूचना के कारण जमीन मालिकों को अपनी जमीनें कॉलोनाइजर कंपनियों को कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। साल 2009 में हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम के सेक्टर 58 से 63 और सेक्टर 65 से 67 की 1,417.07 एकड़ भूमि पर भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा-4 के तहत अधिसूचना जारी की थी।
मानेसर लैंड डील केस में भी हुई पूछताछ
इसके अलावा, ED ने इस साल जनवरी में मानेसर लैंड डील केस के सिलसिले में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा से चंडीगढ़ में 7 घंटे तक पूछताछ की थी। ED ने 2004-07 के दौरान गुरुग्राम में हुए 1,500 करोड़ रुपए के भूमि घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए हुड्डा को नोटिस भेजकर तलब किया था। इस मामले में ED की जांच अभी भी जारी है, और आगे भी कई खुलासे हो सकते हैं।