विधासभा चुनाव में Haryana की सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को चुनवी मैदान में उतार दिया है। टिकट कटने से नेताओं ने दलबदल भी किया। टिकटों को लेकर सबसे ज्यादा घमासान बीजेपी और कांग्रेस में दिखा। कांग्रेस में अब सर्वत्र चर्चा है कि टिकट बंटवारे में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट का प्रभाव ज्यादा रहा यानी कि हुड्डा गुट के लोगों को ज्यादा टिकट मिली। कुमारी शैलजा को कुछ सीटो पर ही सब्र पड़ा।
सूत्रों की मानें तो हुड्डा के कहने पर पार्टी ने 72 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। वहीं, कुमारी सैलजा के कहने पर पार्टी ने 9 प्रत्याशियों को टिकट दिया है। वहीं रणदीप सुरजेवाला गुट के कहने पर पार्टी ने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसके साथ ही कांग्रेस नेतृत्व की सिफारिश पर 5 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है। अजय यादव के कहने पर 1 प्रत्याशी को उतारा गया है। जबकि गठबंधन में कांग्रेस ने एक टिकट सीपीआईएम को दिया।
कुमारी सैलजा के समर्थको को टिकट!
पंचकुला, जगाधरी, अंबाला कैंट, नारायणगढ़, सढौरा, असंध, हिसार और कालका। सूत्रों के मुताबिक तिगांव और बल्लबभढ़ विधानसभा सीट को लेकर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उम्मीदवारों के नाम सजेस्ट नहीं किए थे। सियासी गलियारों में अक्सर इस बात की चर्चा होती है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अंदरुनी कलह से भी जूझ रही है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा के बीच टकराव की स्थिति लगातार चर्चा का विषय रही है।
बहरहाल कांग्रोस पार्टी ने प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है, उससे ये झलक रहा है कि हुड्डा परिवार का रुतबा अभी भी पार्टी में बरकरार है। कुमारी सैलजा विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन पार्टी ने किसी भी मौजूदा सांसद को टिकट नहीं दिया। शैलजा कई मौके पर खुद को सीएम पद के लिए दावेदार भी बता चुकी है। शैलजा और दीपेंद्र हुड्डा के अलग-अलग प्रचार अभियान पर भी सवाल खडे़ होते रहे हैं। अब देखना यह है कि और शैलजा दल के कितने कितने उम्मीदवार जीत कर आते है।