Pausha Kalashtami 2024: कालाष्टमी का पर्व हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है, जो शिव जी के उग्र रूप माने जाते हैं। यह पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। काल भैरव की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। उनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है, जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और भय व आतंक का निवारण होता है। इस दिन की गई पूजा से रोगों से मुक्ति भी प्राप्त होती है।
पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समय 22 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर प्रारंभ होगा और 23 दिसंबर को शाम 05 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा। इस समय में काल भैरव देव की पूजा निशा काल (रात) में की जाती है। इस प्रकार, 22 दिसंबर को पौष महीने की कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से भगवान काल भैरव की उपासना और पूजा का महत्व होता है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
काल भैरव की पूजा के लिए निम्न सामग्री आवश्यक होती है।
- मूर्ति या चित्र: भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र।
- पवित्र जल: गंगाजल या शुद्ध जल।
- दूध: अभिषेक के लिए।
- दही: अर्चना हेतु।
- शहद: श्रद्धा से अर्पित करने के लिए।
- घी: दीपक जलाने के लिए।
- कुमकुम और रोली: तिलक करने के लिए।
- चंदन: अभिषेक के लिए।
- फूल: भगवान को अर्पित करने के लिए।
- धूप और दीपक: पूजा में समर्पित करने के लिए।
- नैवेद्य: मिठाई जैसे जलेबी, इमरती, पान आदि।
- सरसों का तेल: दीपक जलाने के लिए।
- काले तिल: शुभकामनाओं के प्रतीक।
- सुपारी और लौंग: भगवान को अर्पित करने के लिए।
- नारियल: पूजन में अर्पित करने के लिए।
- काला कुत्ता: यदि आसपास हो तो उसे भी भोजन कराएं।
इन सभी वस्तुओं का उपयोग भगवान काल भैरव की पूजा के लिए किया जाता है ताकि उनकी कृपा से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे।
कालभैरव की पूजा कैसे करें
- स्नान और शुद्धि:
- कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और व्रत का संकल्प लें।
- मूर्ति स्थापना:
- भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र को एक साफ चौकी पर स्थापित करें।
- मूर्ति पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करें।
- सजावट और भोग:
- मूर्ति को कुमकुम, रोली और चंदन से सजाएं और फूलों की माला पहनाएं।
- सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- भगवान को जलेबी, इमरती, पान आदि का भोग लगाएं।
- नारायण पूजा:
- काले तिल, सुपारी और लौंग अर्पित करें।
- “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें और भगवान काल भैरव की आरती करें।
- भगवान काल भैरव का तीन बार प्रदक्षिणा लगाएं।
- पालक व्रत और मदद:
- कालाष्टमी के दिन काला कुत्ता मिलने पर उसे रोटी खिलाएं।
- इस दिन भगवान काल भैरव को शराब अर्पित करने की मान्यता भी है, लेकिन यह सभी के लिए आवश्यक नहीं है।
- उपयोगी सुझाव:
- पूजा करते समय सकारात्मक भाव रखें और मन में किसी भी प्रकार का भय न रखें।
- पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और जरूरतमंदों को दान दें।
कालाष्टमी के दिन क्या करें और क्या नहीं:
- व्रत रखें और भगवान काल भैरव के मंदिर में जाएं।
- शिव पुराण का पाठ करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
- इस दिन किसी से भी झूठ न बोलें।
- मांस-मदिरा का सेवन न करें।
- किसी का अपमान न करें।
कालाष्टमी पर्व का महत्व:
- भगवान काल भैरव को भगवान शिव का एक उग्र रूप माना जाता है। उन्हें समय और मृत्यु का स्वामी भी कहा जाता है।
- काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं। वे शत्रुओं का नाश करने वाले माने जाते हैं और उनकी पूजा करने से सभी शत्रु नष्ट हो जाते हैं।
- काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति में साहस आता है और सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।
- काल भैरव को न्याय का देवता भी माना जाता है। उनकी पूजा से कानूनी मामलों में सफलता मिलती है और व्यापार में वृद्धि होती है।