मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। प्रदोष व्रत से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
इस व्रत का पालन करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 28 नवंबर 2024, गुरुवार, सुबह 6:23 बजे।
तिथि समाप्त: 29 नवंबर 2024, शुक्रवार, सुबह 9:43 बजे।
शुभ मुहूर्त: 28 नवंबर की शाम 6:23 बजे से रात 8:00 बजे तक।
विशेष योग:
सौभाग्य योग: शाम 4:01 बजे तक।
चित्रा नक्षत्र का संयोग।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल को साफ कर शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।
अभिषेक और पूजा सामग्री:
शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र से अभिषेक करें।
भगवान शिव को फूल, फल और धूप-दीप अर्पित करें।
मंत्र जाप और कथा:
पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
प्रदोष व्रत कथा सुनें और आरती करें।
प्रसाद और व्रत:
अंत में आरती कर प्रसाद बांटें।
पूरे दिन उपवास रखें और फलाहार करें।
प्रदोष व्रत में क्या खाएं?
- फल: केला, सेब, संतरा आदि।
- सूखे मेवे: बादाम, काजू, किशमिश।
- साबूदाना: खीर या उपमा।
- कुट्टू का आटा: खिचड़ी या पकौड़े।
- दूध और फलों का जूस।
क्या न खाएं?
- अन्न (चावल, गेहूं)।
- दालें।
- प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन।
- शराब और नशीले पदार्थ।
व्रत के दौरान क्या करें?
- सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव की पूजा करें।
- शिव मंदिर में दर्शन करें।
- शिव पुराण का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को दान करें।
- पूरे दिन सकारात्मक विचार रखें।
क्या न करें?
- झूठ बोलना और किसी का अपमान करना।
- केतकी के फूल और हल्दी का उपयोग।
- मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन।
प्रदोष व्रत का पारण
प्रदोष व्रत का पारण प्रदोष काल की पूजा के बाद किया जाता है।
तुलसी का पत्ता चबाकर और फल खाकर पारण करें।
यदि संभव हो, ब्राह्मण को भोजन करवाएं।
पारण के सही समय पर पालन से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
28 नवंबर 2024 को पड़ने वाला गुरु प्रदोष व्रत आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का अवसर है। शुभ मुहूर्त में शिव पूजा करें और व्रत के नियमों का पालन कर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें।