Ghatiaghat Temple

India Ghatiaghat Temple : जहां पानी से जलता है दीपक, जानें रहस्यमयी मंदिर की कहानी

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India में कई ऐसे प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं, जो अपने चमत्कारों और रहस्यों की वजह से दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है Ghatiaghat Temple, जहां घी या तेल के बिना, केवल पानी से दीपक जलाया जाता है। यह मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और चमत्कारी घटनाओं के लिए जाना जाता है।

मंदिर का स्थान

घटियाघाट माता का मंदिर मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में स्थित है। यह मंदिर कालीसिंध नदी के किनारे, नलखेड़ा गांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर गाड़िया गांव के पास स्थित है। इसे गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से भी जाना जाता है।

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कैसे जलता है पानी से दीपक?

इस मंदिर में वर्षों से एक महाज्योति लगातार जल रही है। आश्चर्य की बात यह है कि यह दीपक बिना घी, तेल या किसी अन्य ईंधन के, केवल कालीसिंध नदी के पानी से जलता है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जब दीपक में नदी का पानी डाला जाता है, तो वह किसी चिपचिपे तरल में बदल जाता है और दीपक जल उठता है। इस चमत्कार को देखने के लिए हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।

मां का आदेश

मान्यता के अनुसार, पहले इस मंदिर में दीपक अन्य मंदिरों की तरह घी और तेल से जलाया जाता था। लेकिन एक दिन देवी माता ने सपने में पुजारी को दर्शन दिए और कालीसिंध नदी का पानी इस्तेमाल करने का आदेश दिया। पुजारी ने देवी के आदेश का पालन किया, और आश्चर्यजनक रूप से नदी के पानी से दीपक जलने लगा। तभी से मंदिर में पानी से दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है।

बरसात में बंद रहता है दीपक

मंदिर बरसात के मौसम में कालीसिंध नदी का जलस्तर बढ़ने से पानी में डूब जाता है। इस दौरान मंदिर में पूजा-अर्चना और दीपक जलाना संभव नहीं होता। जैसे ही नदी का पानी घटता है और शारदीय नवरात्रि शुरू होती है, मंदिर में फिर से अखंड ज्योत प्रज्ज्वलित की जाती है, जो अगले वर्षाकाल तक जलती रहती है।

श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र

यह चमत्कारी दीपक श्रद्धालुओं के लिए आस्था और जिज्ञासा का केंद्र है। हर साल हजारों लोग इस मंदिर में देवी के दर्शन और इस अद्भुत घटना का अनुभव करने के लिए पहुंचते हैं।

क्या यह विज्ञान है या चमत्कार?

आज तक इस रहस्य का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। अगर आप इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो नवरात्रि का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।

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