Sudiksha Ji Maharaj

निरंकारी समागम में सतगुरु माता Sudiksha Ji Maharaj ने दी सच्चाई की पहचान और सेवा का बताया महत्व

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गन्नौर-समालखा हल्दाना बॉर्डर स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर आयोजित तीन दिवसीय 77वें निरंकारी समागम में लाखों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सतगुरु माता Sudiksha Ji Maharaj ने सेवा, समर्पण और आत्म-सुधार के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सच्ची सेवा में स्वार्थ और लाभ की कोई कामना नहीं होती, बल्कि यह दूसरों के प्रति प्रेम और समर्पण को प्रकट करने का एक माध्यम होती है।

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सतगुरु माता जी ने अपने प्रवचनों में समान दृष्टिकोण और विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे पानी के स्रोतों के बारे में लोगों का दृष्टिकोण अलग-अलग हो सकता है—ग्लास, बाल्टी, तालाब या समुद्र—वैसे ही जीवन में हमें अपनी सोच और समझ को व्यापक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुएं के मेंढक की तरह सीमित सोच को सच्चाई मान लेना जीवन का वास्तविक स्वरूप छोड सकता है।

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आत्म-अवलोकन और सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता

सतगुरु माता जी ने यह भी बताया कि यदि हम जानते हैं कि कोई आदत गलत है और फिर भी उसे छोड़ने में असमर्थ हैं, तो हमें आत्म-अवलोकन की आवश्यकता है। अपनी सोच को सकारात्मक दिशा में विकसित करना और दूसरों के विचारों को खुले दिल से अपनाना ही सच्चे विस्तार का प्रतीक है।

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निरंकारी राजपिता रमित जी का संदेश

समागम में निरंकारी राजपिता रमित जी ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह समागम जीवन को गहराई और विस्तार प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भक्ति केवल साधन नहीं, बल्कि साध्य है, और जब भक्ति जीवन का केंद्र बन जाती है, तो सांसारिक सुख गौण हो जाते हैं। सतगुरु द्वारा प्रदत्त आध्यात्मिकता हमारे जीवन में प्रेम, सेवा, समर्पण, करूणा और अन्य दिव्य गुणों का विस्तार करती है।

कायरोप्रैक्टिक शिविर और स्वास्थ्य सेवाएं

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समागम में स्वास्थ्य सेवाओं का भी व्यापक प्रबंध किया गया है। कायरोप्रैक्टिक शिविर के माध्यम से निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ प्रदान किए जा रहे हैं, जिसमें रोज़ाना 3,000 से 4,000 लोग लाभ उठा रहे हैं। समागम स्थल पर 100 बिस्तरों वाला अस्पताल और 40 एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध है। यहां 20,000 मरीजों का निःशुल्क उपचार किया जा रहा है, जिसमें 1,000 सर्जन और मेडिकल स्टाफ की टीम सेवा में लगी है।

वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश

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समागम के दौरान वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश भी जोर-शोर से दिया गया, जिसमें सभी मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों को समझते हुए एकजुट होने का आह्वान किया गया। निरंकारी समागम लगातार सकारात्मक विचारों और सेवाओं के माध्यम से समाज में एक नई दिशा प्रदान करता रहा।

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