हर साल भादौ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश उत्सव शुरु होता है। हर घर में गणेश विराजमान होते हैं और लोग उनका धूमधाम से स्वागत करते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी का व्रत 19 सितंबर से शुरू हो रहा है। गणपति बप्पा का ये त्योहार 10 दिनों तक चलता है।
गणपति बप्पा का ये त्योहार 10 दिनों तक चलता है। अगर आप भी इस साल उन्हें अपने घर पर लाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको उनकी स्थापना के शुभ मुहूर्त से लेकर, इन्हें घर लाने का महत्त्व और पूजा विधि सब बताते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के प्रहर में हुआ था। कहते हैं अगर पूजा-पाठ नियमानुसार सही विधि से किए जाएं तो इसके शुभ फल भी मिलते हैं।
कब होगा शुभ मुहू्र्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न के प्रहर में हुआ था। माना जाता हैं कि अगर गणेश जी की पूजा-पाठ नियमो के अनुसार विधि के साथ कि जाएं तो इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। इसका शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
जानिए पूजा का महत्व
भगवान गणेश जी बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का देवता माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान गणेश को सभी भगवानो से पहले पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य में गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है। गणेश चतुर्थी हिंदुओ का महत्तवपूर्ण त्योहार माना जाता है, जिसे लोग देश भर में गणेश चतुर्थी के रूप में मनाते है।
गणेश चतुर्थी का त्योहार क्यों मनाया जाता है, जानिए कारण
भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा करने से उनका आशीर्वाद सदा आपके सिर पर बना रहेगा। गणेश चतुर्थी को नए कार्यों, प्रोजेक्ट्स, या व्यापार की शुरुआत करने से पहले पूजा को मान्यता दी जाती है। तो सभी कार्य अच्छे होते है और इस अवसर पर परिवार, समुदाय के सभी लोग एक साथ आकर्षित होते हैं। इस त्योहार पर गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
कैसे करें पूजा
गणेश चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक यानी लगातार 10 दिनों तक गणेश के रंग में रंग जाए तो उनके भक्तों पर गणेश भगवान की हमेशा कृपा बनीं रहती है। गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं और संकट के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। गणेश चतुर्थी के त्योहार का आयोजन भारत के विभिन्न भागों में किया जाता है। यह त्योहार सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, गुजरात, और कर्नाटक में प्रमुखता से मनाया जाता है।