Prayagraj महाकुंभ में इस बार साधु-संतों और अखाड़ों की छावनी में एक खास नाम चर्चा का केंद्र बना हुआ है और वो है मौनी बाबा…। उनके शिवभक्ति और अद्भुत तपस्या के किस्से हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं। बाबा का संकल्प है कि वह 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से शिवलिंग बनाकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित करेंगे।
महाकाल के संकल्प के साथ आया हूं: मौनी बाबा
मौनी बाबा ने बताया कि “मैं भगवान महाकाल के 12 ज्योर्तिलिंगों के निर्माण के संकल्प के साथ महाकुंभ में आया हूं। यह शिवलिंग न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक होगा, बल्कि विश्व कल्याण, काशी-मथुरा के मंदिर निर्माण, बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का संदेश भी देगा।”
अनोखी तपस्या: बिना नमक-अन्न के 47 साल
मौनी बाबा का जीवन आश्चर्यचकित कर देने वाला है। 1989 से 2002 तक उन्होंने मौनव्रत रखा। 47 वर्षों से नमक, मीठा और अन्न का त्याग कर दिया। केवल उबला हुआ पानी और बिना नमक की सब्जी का सेवन करते हैं। 14 वर्षों तक मौन रहे, 56 बार भू समाधि और 27 बार जल समाधि ले चुके हैं। 6800 किमी तक लेटकर परिक्रमा की है।
रुद्राक्ष से विशेष लगाव
बाबा के अनुसार, 33 कोटि देवताओं की उपासना के लिए उन्होंने 33 हजार रुद्राक्ष धारण किए हैं। नेपाल में 41 दिन की भू समाधि के दौरान उन्हें वहां के महाराज वीरेंद्र विक्रम ने रुद्राक्ष की मणियां भेंट की थीं। अब उनके पास 40 किलो से ज्यादा रुद्राक्ष हैं।
बोले- आत्मा की शक्ति को बढ़ाता है मौन
मौनी बाबा मानते हैं कि मौन आत्मा की शक्ति को बढ़ाता है। यह सहिष्णुता और वैराग्य का प्रतीक है। धर्म और धैर्य को धारण करना ही मौन का असली उद्देश्य है।
शिवलिंग के साथ नया इतिहास रचने का लक्ष्य
मौनी बाबा का कहना है कि कलयुग में पहली बार स्वतंत्र भारत में और महाकुंभ में ऐसा होगा कि 5.51 करोड़ रुद्राक्ष से शिवलिंग का दिव्य दर्शन होगा। यह संपूर्ण विश्व के लिए एक अद्भुत अनुभव होगा। मौनी बाबा की यह अनोखी यात्रा श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा और आस्था का केंद्र बन गई है।