हिंदु धर्म में Navratri का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों के दौरान मां पृथ्वी पर ही निवास करती है और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करती है, साथ ही सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद देती है। साल 2024 में शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर को खत्म होगी।
नवरात्रे के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन के समस्त संकट, क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमण्डल धारण किए हुए है।
मां ब्रह्मचारिणी कथा
मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर में जन्म लिया था। भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए उन्होंने घोर तपस्या की थी। कठोर तपस्या के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। बता दें कि भगवान शिव की अराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्षों तक केवल फल खाएं। कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर क्षीण हो गया। उनकी ऐसी तपस्या को देखकर भगवान शिव काफी खुश हुए और कहा कि आपके जैसा तप कोई नहीं कर सकता। जिसके बाद से ही माता ने शिवजी को पति के रूप में प्राप्त किया।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले या वस्त्र धारण करें। साथ ही माता को सफेद वस्तुएं अर्पित करें जैसे- मिश्री, शक्कर या पंचामृत। ज्ञान और वैराग्य का कोई भी मंत्र माता के सामने जप सकते हैं। मां ब्रह्मचारिणी के लिए ऊं ऐं नम: मंत्र का जाप विशेष होता है। इस मंत्र काजाप करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।