Maa Mahagauri

Navratri Special : मां महागौरी(Maa Mahagauri) की आराधना करेगी रोग-शोक-व्याधि का End, मार्ग से भटके हुए को मिलेगा सन्मार्ग

धर्म

Navratri Special : नवरात्रि की महाअष्टमी के दिन अगर भक्त के हृदय में सच्ची साधना की अभिलाषा विद्यमान हो, तो भगवती उसे जीवन(Life) के समस्त सुख-सुविधा प्रदान करती है। भगवती मां गौरी(Maa Mahagauri) की अष्टमी के दिन आराधना सभी मनोवांछित फलों को देने वाली तथा शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के रोग, शोक, व्याधि आदि का अंत(End) कर जीवन को आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।

नवरात्रें के आठवें दिन की देवी मां महागौरी(Maa Mahagauri) हैं, परमकृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी(Maa Mahagauri) के नाम से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विख्यात हुईं। महागौरी(Maa Mahagauri) मां दुर्गा की शक्ति का आठवां विग्रह स्वरूप हैं। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है, ‘अष्टवर्षा भवेद् गौरी। इनके समस्त आभूषण और यहां तक कि इनका वाहन भी हिम के समान सफेद या गोर रंग वाला वृषभ अर्थात् बैल माना गया है। इनकी चार भुजाएं हैं।

Maa Mahagauri  - 2

इनमें ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे वाले बाएं हाथ में वर मुद्रा रहती है। माता महागौरी मनुष्य की प्रवृत्ति सत् की ओर प्रेरित करके असत् का विनाश करती हैं। इनकी शक्ति विग्रह भक्तों को तुरंत और अमोघ फल देती है। शास्त्रों में वर्णित इनकी उपासना से भक्त के जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और मार्ग से भटका हुआ भी सन्मार्ग पर आ जाता है।

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कठोर तप के कारण पड़ा वर्ण काला

भविष्य में पाप-संताप, निर्धनता, दीनता और दुख उसके पास नहीं फटकते। इनकी कृपा से साधक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है। उसे अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। महागौरी की उत्पत्ति कथा मां पार्वती से ही जुड़ता है। ‘नारद पंचरात्र’ के अनुसार पार्वती के रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बड़ी कठोर तपस्या की थी। कठोर तप के कारण उनकी देह क्षीण और वर्ण काला पड़ गया।

महिषासुर राक्षस पर पाई विजय

अंत में इनकी तपस्या से संतुष्ट होकर जब भगवान शिव ने इन्हें अपनी जटा से निकलती पवित्र गंगाधारा के जल से धोया तो यह विद्युत प्रभा के समान अति कांतिमान और गौर वर्ण की हो गईं, तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा। देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस पर विजय पाई, इसलिए अष्टमी के दिन देवी दुर्गा के गौरी रूप की पूजा होती है। इनकी पूजा विवाहित महिलाओं को विशेष फल प्रदान करती हैं।

महागौरी का भोग एवं साधना मंत्र  

नवरात्र के आठवे दिन मां के इस रूप का ध्यान कर पूजा-अर्चना कर नारियल का भोग लगाने वाले साधकों को सुख-समृद्धि प्राप्त हेाती है, इसके साथ ही इस दिन नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करने से मां भगवती की कृपा से हर प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती है।

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