हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने की परंपरा है। इस वर्ष, पौष माह की पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को मनाई जाएगी।
एकादशी का महत्व और पूजा विधि
पुत्रदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और यह विशेष रूप से संतान सुख प्राप्ति की कामना करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, साथ ही संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।

लेकिन इस दिन कुछ विशेष कार्यों से बचना चाहिए, अन्यथा पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता और व्यक्ति को जीवन में दुख और संकटों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा भी नहीं मिलती।
जानिए किन कार्यों से बचना चाहिए
पुत्रदा एकादशी का व्रत और पूजा विधि-विधान से करना बेहद आवश्यक है। यदि इस दिन कुछ विशेष कार्यों में लापरवाही बरती जाए तो इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। इस दिन कुछ कार्यों से बचना चाहिए:
- नशे से बचें – शराब, तंबाकू और अन्य नशीली चीजों से दूर रहें।
- सामाजिक मेलजोल में सावधानी रखें – इस दिन गुस्से और विवादों से बचें।
- अन्न का त्याग करें – व्रत के दौरान शाकाहारी भोजन का सेवन करें और गरिष्ठ भोजन से बचें।
- झूठ बोलने से बचें – इस दिन सत्य बोलने का संकल्प लें।
- दूसरों के सामने अपशब्दों का प्रयोग न करें – अहिंसा और शांति का पालन करें।
एकादशी तिथि का समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 09 जनवरी को दोपहर 12:22 बजे से शुरू होगी और 10 जनवरी को सुबह 10:19 बजे तक रहेगी। इस दिन, विशेष रूप से उदया तिथि के अनुसार व्रत रखा जाएगा। पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यदि आप इस दिन व्रत और पूजा विधि के अनुसार करते हैं और ऊपर बताए गए कार्यों से बचते हैं, तो आपको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।