सावन अधिकमास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि आज है। पंचक काल को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया हैं। आज से पंचक काल की शुरु हो रहा है जोकि अगले पांच दिन तक चलने वाला है। पंचक काल का समय किसी भी काम के लिए शुभ नहीं माना जाता हैं। जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण,उत्तराभाद्रपद, रेवती औऱ शतभिषा नक्षत्र में भ्रमण करता है तो पंचक काल शुरु होता है।
पंचक काल शुरु होने का समय
इस बार पंचक आज यानि 2 अगस्त को रात 11 बजकर 26 मिनट 54 सेकंड से शुरु होंगे और सोमवार, 7 अगस्त को रात 1 बजकर 44 मिनट 5 सेंकड पर खत्म हो जाएंगे। ज्योतिषो के मुताबिक 5 नक्षत्र ऐसे होते है जिनके खास संयोग से एक योग बनता है जिसे पंचक कहा जाता है। चद्रंमा गति करते हुए कुंभ और मीन राशि में गोचर करता हैं तो उस समय पंचक लगते हैं।
हर माह लगता है पंचक
पंचक हर महीने लगते है पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रांरभ होकर रेवती नक्षत्र पर समाप्त होता है। हिंदू धर्म में पंचक लगने पर शव दाह नहीं किया जाता है। जब भगवान राम ने रावण का वध किया था उसके बाद से ही पांच दिन का पंचक मनाने की परंपरा को शुरु किया गया था। सनातन धर्म में पंचक काल को बहुत अशुभ माना गया है।
पंचक काल में ना करें ये काम
पंचक काल में अनुयायियों को लकड़ी खरीदने की मनाही होती है। घर बनवाते समय इसकी छत डालना भी पंचक काल में अशुभ माना जाता है। इसके अलावा शैय्या का निर्माण करना औऱ दक्षिण की यात्रा भी इस अवधि में अशुभ मानी गई है।
जो शुभ काम एक पंचक काल में कर लिया जाता है उसे पांच बार करना होता है। पंचक समाप्त होने के बाद शादी-विवाह, मु्ंडन, भवन निर्माण या गृह प्रवेश जैसे शुभ काम किए जा सकेंगे।
जब किसी व्यक्ति की पंचक काल में शव दाह नही किया जाता अगर दाह करना जरुरुी होता है तो आटे का पुतला बनाकर औऱ उसकी विधिवत पूजा करने के बाद ही ऐसा किया जा सकता है।
पंचक काल में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर दाह-संस्कार संबंधित नक्षत्र के मंत्र से आहुति देनी चाहिए नियम के अनुसार दि गई आहुति से पुण्यफल मिलता है अगर संभव हो तो इस काल में दाह-संस्कार तीर्थस्थल में किया जाना चाहिए। इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती हैं।

