Ramayana में रावण की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी और पटरानी मंदोदरी द्वारा विभीषण से विवाह का निर्णय एक बड़ी घटना मानी जाती है। यह विवाह न केवल व्यक्तिगत बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक संदर्भों में भी अहम था। आइए जानते हैं इस घटना के प्रमुख पहलुओं को।
रावण और मंदोदरी की कहानी:

- मंदोदरी का प्रारंभिक जीवन:
मंदोदरी का असली नाम मधुरा था। वह एक अप्सरा थी, लेकिन भगवान शिव को रिझाने के प्रयास में देवी पार्वती के क्रोध का शिकार हो गईं। पार्वती ने मधुरा को 12 वर्षों तक मेंढक बने रहने का शाप दिया।शाप के समय असुरराज मायासुर और उनकी पत्नी तपस्या कर रहे थे। 12 वर्ष पूरे होने के बाद उन्होंने मधुरा को अपनी बेटी के रूप में स्वीकार किया और उसका नाम मंदोदरी रखा। - रावण से विवाह:
रावण ने मायासुर से मंदोदरी का हाथ मांगा, लेकिन मना करने पर उसे बलपूर्वक ले आया। मजबूर होकर मंदोदरी ने रावण के साथ रहना स्वीकार किया।
मंदोदरी का नैतिक और धार्मिक पक्ष:
मंदोदरी का चरित्र रामायण में नैतिकता और धर्म का प्रतीक रहा है। उन्होंने सीता के अपहरण का विरोध किया और रावण को इसे गलत ठहराया। मंदोदरी हमेशा धर्म और न्याय का समर्थन करती रहीं।
रावण की मृत्यु और विभीषण से विवाह:

- राम का प्रस्ताव:
रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी विधवा हो गईं। भगवान राम ने उन्हें विभीषण से विवाह करने का प्रस्ताव दिया ताकि लंका में स्थायित्व और समृद्धि बनी रहे। - मंदोदरी का निर्णय:
प्रारंभ में मंदोदरी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। लेकिन बाद में धार्मिक, नैतिक और तार्किक दृष्टिकोण से उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। विभीषण से विवाह करना न केवल सामाजिक परंपराओं के अनुरूप था, बल्कि लंका की राजनीतिक स्थिरता के लिए भी आवश्यक था।
विभीषण की अनिच्छा:
विभीषण स्वयं इस विवाह के लिए इच्छुक नहीं थे क्योंकि उनकी पहले से कई रानियां थीं। लेकिन राम की सलाह और राजकाज के दृष्टिकोण से उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया।
विवाह के पीछे की राजनीति:
यह विवाह व्यक्तिगत संबंधों से अधिक राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से जुड़ा था। मंदोदरी चाहती थीं कि लंका में शांति और समृद्धि बनी रहे। रावण की मृत्यु के बाद विभीषण को राजा के रूप में स्थापित करना भी जरूरी था, और इस विवाह से उन्हें नैतिक अधिकार मिला।
मंदोदरी का दृष्टिकोण:
मंदोदरी ने रावण की मृत्यु के लिए राम को दोष नहीं दिया। वह समझ गई थीं कि विभीषण के साथ विवाह से लंका के भविष्य को बेहतर दिशा मिल सकती है।
मंदोदरी और विभीषण का विवाह एक धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक कदम था। यह न केवल रामायण की कहानी को संतुलित करता है, बल्कि उस समय की परंपराओं और नैतिक मूल्यों को भी दर्शाता है।