संत रविदास की शिक्षाएं और सामाजिक समानता का संदेश
धर्म

रविदास जयंती 2025: संत रविदास की शिक्षाएं और सामाजिक समानता का संदेश


● संत रविदास ने समाज में समानता, भक्ति और भाईचारे का संदेश दिया
● उनकी शिक्षाएं आज भी सामाजिक सुधार और आध्यात्मिकता के लिए प्रेरणादायक हैं

Sant Ravidas Jayanti 2025: संत रविदास जयंती भारत में हर साल माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह दिन संत रविदास के जन्मदिवस के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। 2025 का यह पर्व आज देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। संत रविदास ने समाज में समानता, प्रेम, भक्ति और भाईचारे का संदेश दिया। उनके विचारों ने जातिवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ एक क्रांतिकारी संदेश दिया, जिससे वह भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में गिने जाते हैं। संत रविदास का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी समाज के लिए प्रासंगिक हैं। उन्होंने प्रेम, समानता और भाईचारे पर बल दिया, जो एक आदर्श समाज की नींव हैं। रविदास जयंती हमें उनके विचारों को आत्मसात करने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का प्रेरणादायक अवसर प्रदान करती है।

संत रविदास का जीवन परिचय
संत रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम कर्मा देवी और संतोख दास था। बचपन से ही वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे और समाज में व्याप्त छुआछूत और अन्याय के विरुद्ध खड़े हुए। संत रविदास ने अपने जीवनकाल में जात-पात के बंधनों को तोड़ने और समतामूलक समाज की स्थापना का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएं गुरु ग्रंथ साहिब में भी संकलित हैं।

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संत रविदास की शिक्षाएं
संत रविदास ने समाज में कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं, जो आज भी प्रासंगिक हैं:

समानता का संदेश: उन्होंने जातिवाद का विरोध करते हुए कहा कि सभी मनुष्य समान हैं।
निर्गुण भक्ति का प्रचार: उन्होंने मूर्ति पूजा की अपेक्षा परम सत्य की उपासना पर बल दिया।
कर्म और ईमानदारी: संत रविदास ने परिश्रम और ईमानदारी से जीवन जीने की प्रेरणा दी।
बेगमपुरा की अवधारणा: उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहां किसी प्रकार का भेदभाव और दुख न हो।

रविदास जयंती का महत्व
रविदास जयंती केवल संत रविदास के जन्मदिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह समानता, सामाजिक न्याय और भक्ति के विचारों को आत्मसात करने का अवसर भी है। इस दिन देशभर में कीर्तन, भजन, सत्संग और शोभायात्राएं आयोजित की जाती हैं। विशेष रूप से वाराणसी, पंजाब, राजस्थान और उत्तर भारत के अन्य भागों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।

संत रविदास के प्रमुख भजन और दोहे
संत रविदास ने अनेक भजन और दोहे रचे, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध दोहे इस प्रकार हैं:

“मन चंगा तो कठौती में गंगा।” (अर्थ: यदि मन शुद्ध है, तो हर स्थान गंगा के समान पवित्र है।)
“ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिले सबन को अन्न।
छोट-बड़े सब सम बसै, रविदास रहे प्रसन्न।।”

(अर्थ: मैं ऐसे समाज की कल्पना करता हूँ, जहां सबको समान रूप से अन्न मिले और सभी समानता से रहें।)

रविदास जयंती समारोह
रविदास जयंती के अवसर पर आज देशभर में कई कार्यक्रम

● गुरुद्वारों और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना।
● नगर कीर्तन और शोभायात्राओं का आयोजन।
● भजन-कीर्तन और संत वाणी का पाठ।
● लंगर (भंडारा) का आयोजन।
● सामाजिक समानता और प्रेरणादायक व्याख्यान।