आज सावन का चौथा और अंतिम सोमवार बना रहा ये शुभ योग

आज सावन का चौथा और अंतिम सोमवार, बना रहा ये शुभ योग

धर्म

➤ सावन का चौथा और अंतिम सोमवार, आज कई शुभ योग बन रहे

➤ शिव-पार्वती की पूजा का दिन, व्रत का संकल्प पूर्ण करने का अवसर

➤ रुद्राभिषेक, मंत्र जाप और आरती से भक्तों की मनोकामनाएं होंगी पूरी

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आज सावन का चौथा और अंतिम सोमवार है, और यह दिन अत्यंत शुभ, प्रभावकारी और फलदायक माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आज भक्तों के पास अंतिम दिन है। इस दिन की पूजा विधि, व्रत और मंत्रों का विशेष महत्व है। यह पूरा सावन मास ही भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। चारों सोमवारों का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन अंतिम सोमवार को पूर्ण फलदायी और संकल्प पूर्ति का दिन कहा गया है। यह दिन शिव भक्तों के पूरे सावन व्रत के समापन का दिन होता है। यह दिन शिव जी को प्रसन्न कर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण कराने का अंतिम अवसर माना जाता है।

सावन के अंतिम सोमवार के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे आज के दिन का महत्व भी बढ़ गया है। आज के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, गजकेसरी योग, ब्रह्म योग और इंद्र नामक योग बन रहे हैं। इन शुभ योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से हर सुख की प्राप्ति होती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। जो भक्त सावन के सभी सोमवारों को व्रत करते हैं, अंतिम सोमवार पर वे अपना संकल्प पूर्ण करते हैं। यह दिन संपूर्ण व्रत का फल देने वाला माना गया है।

सावन सोमवार व्रत का महत्व यह है कि इस दिन व्रत करके शिव-पार्वती पूजन के लिए उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि सावन सोमवार का व्रत करने से सभी पाप व दुख नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्तजन विशेषरूप से रुद्राभिषेक, दूध, बेलपत्र, जल, शिव चालीसा, महामृत्युंजय जाप आदि करते हैं। सावन का अंतिम सोमवार ज्योतिषीय रूप से उत्क्रमण काल होता है, जब भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा चरम पर होती है। यह दिन राहु, शनि, चंद्र, केतु आदि के दुष्प्रभाव से छुटकारा दिलाने वाला माना गया है।

सावन के अंतिम सोमवार को शिव पूजन का मुहूर्त पंचांग के अनुसार, 4 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:20 से 5:02 बजे तक रहेगा, जो जलाभिषेक के लिए सर्वोत्तम समय है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 2:42 से 3:36 बजे तक और अमृत काल शाम 5:47 से 7:34 बजे तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:44 से रात 9:12 बजे तक रहेगा, जो कार्य सिद्धि और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है। इंद्र योग सुबह 7:06 से 7:25 बजे तक रहेगा, जो आत्मविश्वास और सफलता का प्रतीक है। चंद्रमा अनुराधा और चित्रा नक्षत्र में वृश्चिक राशि में गोचर करेगा, जो पूजा को और फलदायी बनाएगा।

सावन सोमवार पूजन विधि के अनुसार, आज ब्रह्ममुहूर्त में उठें, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और ॐ नमः शिवाय का उच्चारण कर व्रत और पूजा का संकल्प करें। इसके बाद पास के शिवालय में जाकर शिव परिवार को प्रणाम करें और शिवलिंग पर जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर से अभिषेक करें। 11 या 21 बेलपत्र, धतूरा, आक, शमी पत्र शिवलिंग पर अर्पित करें। काले तिल, अक्षत (चावल), चंदन, भस्म, कपूर, दीपक, धूप, नैवेद्य अर्पित करें। साथ ही मन ही मन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करते रहें। इसके बाद दीपक व धूप जलाएं, और शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें। फिर रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र या पंचाक्षर मंत्र (ॐ नमः शिवाय) का 108 बार जाप करें। इसके बाद शिव आरती करें और फल/मिठाई का नैवेद्य अर्पित करें। इसी विधि के साथ प्रदोष काल में भी शिवालय जाकर पूजा करें।

शिवजी के मंत्र

  • पंचाक्षरी मंत्र: ॐ नमः शिवाय
  • महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
  • रुद्र गायत्री मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
  • शिव ध्यान मंत्र: ॐ शंकराय महादेवाय हराय चन्द्रचूड़ाय नमः॥
  • बीज मंत्र: ॐ ह्रीं नमः शिवाय॥

शिवजी की आरती ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥ … (पूरी आरती)