Bhiwani के दिव्यांग खिलाड़ी जसपाल और अमित ने अपनी मेहनत और लगन से दिव्यांगता को वरदान में बदल दिया है। 10वीं एशिया पैसिफिक डीफ गेम्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए जसपाल ने शॉटपुट में सिल्वर और डिस्कस थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल जीते, जबकि अमित ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया।
दोनों खिलाड़ियों के भिवानी लौटने पर ढोल-नगाड़ों और फूल-मालाओं से उनका भव्य स्वागत किया गया। खेल प्रेमियों ने उन्हें खुली जीप में शहर में घुमाया और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाया। खिलाड़ियों ने अपने अगले बड़े लक्ष्य के तौर पर 2025 के पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने की बात कही। उनके परिजनों ने गर्व के साथ कहा कि उनके बच्चे दिव्यांगता को पीछे छोड़ते हुए पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

जसपाल की सफलता की कहानी
जसपाल ने शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में देश को सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल दिलाए। उनकी माता मीना और पिता अशोक ने बताया कि जसपाल पिछले तीन वर्षों से इन खेलों की कोचिंग कर रहे हैं। आस्था स्पेशल स्कूल की अध्यापिका सुमन शर्मा ने उनकी लगन और मेहनत की सराहना की।

कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले अमित ने पहली बार विदेश में खेलते हुए यह सफलता हासिल की। उनके पिता हरज्ञान ने इसे परिवार के लिए गर्व का पल बताया और कहा कि अब उनका पूरा ध्यान 2025 के पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल की तैयारी पर है।
रूपेश की हिम्मत
भिवानी के तीसरे खिलाड़ी रूपेश ने जैवलिन थ्रो में दुनिया में सातवां स्थान हासिल किया। हालांकि, कमर में चोट लगने के कारण वे मेडल नहीं जीत सके।

खिलाड़ियों के परिजनों ने कहा कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं, बल्कि एक विशेषता है। जसपाल और अमित ने साबित कर दिया है कि हौसले और जज्बे से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।