➤झांसी में EMI नहीं चुकाने पर बैंक वालों ने व्यक्ति की पत्नी को उठा लिया।
➤कहा – “किश्त दो, पत्नी ले जाओ”, शख्स की मिन्नतों का भी असर नहीं।
➤पुलिस बुलाई गई, हस्तक्षेप के बाद महिला को छुड़ाया गया।
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसने बैंकिंग सिस्टम की वसूली प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक व्यक्ति द्वारा लोन की किश्तें न चुकाने पर प्राइवेट बैंक के कर्मचारियों ने उसकी पत्नी को कथित रूप से जबरन बैंक में घंटों तक बिठाकर रखा और कहा – “किश्त दो, फिर पत्नी को ले जाओ!”
मामला क्या है?
यह घटना झांसी के मोंठ थाना क्षेत्र की है, जहां अशोक नगर निवासी रविंद्र वर्मा नाम के व्यक्ति ने एक निजी बैंक से ₹40,000 का पर्सनल लोन लिया था। इस लोन की मासिक किश्त ₹2,120 तय की गई थी। रविंद्र का कहना है कि उसने अब तक 11 किश्तें जमा कर दी हैं, लेकिन बैंक ने केवल 8 किश्तों को मान्यता दी। वह कई बार बैंक कर्मचारियों से इस गड़बड़ी की शिकायत कर चुका था। रविंद्र का आरोप है कि EMI लेने आने वाला एजेंट गड़बड़ी कर रहा था और उसकी किश्तें जमा नहीं करवा रहा था।
जब इस मामले को लेकर रविंद्र अपनी पत्नी पूजा वर्मा के साथ बैंक पहुंचा, तो बैंक अधिकारियों ने उल्टा रविंद्र की पत्नी को रोक लिया और कहा कि जब तक किश्त की बकाया रकम जमा नहीं होती, पत्नी को नहीं छोड़ा जाएगा। रविंद्र ने कई बार अनुरोध किया, लेकिन बैंककर्मियों ने कथित रूप से पत्नी को चार घंटे तक बैंक परिसर में ही बैठा कर रखा।
पुलिस को बुलाना पड़ा
जब रविंद्र ने बार-बार विनती की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उसने 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को बुलाया। पुलिस की PRV टीम तुरंत मौके पर पहुंची और महिला को छुड़ाया। बाद में दोनों को मोंठ थाने ले जाया गया, जहां रविंद्र ने पूरे मामले की लिखित शिकायत दी।
पीड़ित परिवार का आरोप
रविंद्र ने बताया कि उसकी पत्नी को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और जबरन घंटों तक बैंक में बैठाकर रखा गया। उन्होंने इसे अवैध बंधक बनाए जाने की घटना करार दिया है। रविंद्र ने बताया कि बैंककर्मियों ने कहा –
“जब तक पैसे नहीं दोगे, पत्नी को नहीं ले जा सकते।”
पूजा वर्मा ने भी आरोप लगाया कि उन्हें जबरन रोका गया और बार-बार धमकाया गया। उन्होंने कहा कि वह बेहद डरी हुई थीं और बैंक से निकलने का रास्ता तक नहीं दिया गया।
पुलिस ने जांच शुरू की
पुलिस ने शिकायत के आधार पर CCTV फुटेज खंगालना शुरू कर दिया है और बैंककर्मियों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस का कहना है कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित बैंक अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बैंक ने दी सफाई
बैंक प्रबंधन ने अपने स्तर पर सफाई देते हुए कहा है कि महिला स्वेच्छा से बैंक आई थीं और उन्हें जबरन नहीं रोका गया था। उनका कहना है कि वसूली प्रक्रिया में किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की गई। हालांकि, पुलिस जांच पूरी होने के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।
सामाजिक सवाल
यह घटना न सिर्फ झांसी के लोगों को झकझोर रही है, बल्कि पूरे देश में निजी बैंकों की वसूली प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवादों पर एक बार फिर रोशनी डाल रही है। अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह बेहद गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में आएगा। लोन वसूली का यह तरीका न सिर्फ अवैध है, बल्कि क्रूर और अमानवीय भी है।
परिवार की अपील
रविंद्र वर्मा और उनकी पत्नी ने प्रशासन से मांग की है कि बैंककर्मियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और ऐसे अमानवीय वसूली तरीकों पर तुरंत रोक लगे। उन्होंने कहा कि वे मध्यमवर्गीय परिवार से हैं और आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद लोन चुकता करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में बैंक की यह बर्बरता असहनीय है।