महाशिवरात्रि इस बार विशेष खगोलीय संयोग और महाकुंभ के प्रभाव के चलते ऐतिहासिक बनने जा रही है। वाराणसी में इस पावन अवसर पर 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। देशभर से आए संत-महात्माओं और नागा संन्यासियों की उपस्थिति से काशी में महाकुंभ जैसा नजारा देखने को मिलेगा।

पांच प्रमुख अखाड़ों की संयुक्त पेशवाई
इस बार 13 अखाड़ों में से पांच बड़े अखाड़े जिनमें, जूना, आवाहन, अग्नि, निरंजनी और अटल की एक साथ पेशवाई निकालेंगे। यह ऐतिहासिक शोभायात्रा हनुमान घाट और शिवाला से निकलेगी। आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशनंद महाराज (जूना अखाड़ा) और कैलाशानंद महाराज (निरंजनी अखाड़ा) के नेतृत्व में नागा संन्यासियों की भव्य शोभायात्रा निकलेगी।

शाही ठाठ-बाट में निकलेगी पेशवाई
इस पेशवाई में परंपरागत डमरू वादन, बैंड-बाजा, भव्य झांकियां और 20 से अधिक रथ होंगे, जिन पर अखाड़ों के महामंडलेश्वर, श्रीमहंत और अन्य पदाधिकारी विराजमान होंगे। यह शोभायात्रा पूरे शहर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करेगी।

विशेष दर्शन व्यवस्था
महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी की सुबह 7 बजे नागा साधुओं की पेशवाई हनुमान घाट से निकलेगी। सुबह 8 से 10 बजे तक काशी विश्वनाथ मंदिर में उनके विशेष दर्शन-पूजन का समय आरक्षित किया गया है। इस दौरान बाबा विश्वनाथ के दरबार में आध्यात्मिक भव्यता अपने चरम पर होगी।

महाशिवरात्रि पर काशी बनेगी आध्यात्मिक केंद्र
वाराणसी में महाशिवरात्रि इस बार सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक महाकुंभ बनने जा रहा है। नागा संन्यासियों, संत-महंतों और लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति से काशी की गलियां शिवमय हो जाएंगी। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु उमड़ेंगे, जिससे पूरा शहर भक्ति और उत्साह के रंग में रंग जाएगा।

महाशिवरात्रि के इस विराट आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर हैं। प्रशासन ने जूना अखाड़ा के पदाधिकारियों के बीच कर सुरक्षा, यातायात और भीड़ प्रबंधन को लेकर विशेष योजनाएं बनाई गई हैं। महाशिवरात्रि पर काशी में होने वाला यह आयोजन ऐतिहासिक बनने जा रहा है।