➤ भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद किया
➤ ट्रंप ने कहा – यह ‘अच्छा कदम’ है, लेकिन पुष्टि नहीं
➤ भारतीय कंपनियों ने रूस की जगह अबूधाबी-अफ्रीका से खरीदी शुरू की
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने एक बार फिर भारत-रूस-यूएस संबंधों में उबाल ला दिया है। ट्रंप ने दावा किया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, और इस कदम को ‘अच्छा’ बताया। उन्होंने यह बात न्यू जर्सी स्थित अपने गोल्फ क्लब रवाना होते हुए पत्रकारों से कही। हालांकि, ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि यह जानकारी ‘सुनी है’, लेकिन पुष्टि नहीं की गई। उनके इस बयान की टाइमिंग इसलिए भी खास है क्योंकि हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर असंतोष जाहिर किया था।
रिपोर्टों के मुताबिक, भारत की IOC, BPCL, HPCL और MRPL जैसी सरकारी तेल कंपनियों ने बीते एक हफ्ते में रूसी कच्चा तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है। इसका कारण जुलाई में रूसी तेल पर मिलने वाली छूट का कम होना है। अब ये कंपनियां अबू धाबी के मुरबान ग्रेड और पश्चिमी अफ्रीका से तेल खरीद रही हैं, जो स्पॉट मार्केट यानी तत्काल खरीद-बिक्री वाले बाजार से आता है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि भारत में रूस से आने वाला तेल अचानक थम सा गया है, और यह ट्रंप के दावे को कहीं न कहीं समर्थन देता है, लेकिन भारत सरकार की ओर से कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है कि तेल खरीद पूरी तरह बंद कर दी गई है।
भारत का जवाब भी सामने आया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतें बाजार में उपलब्ध विकल्पों और वैश्विक परिस्थितियों के अनुसार तय करता है। यह बयान स्पष्ट करता है कि भारत किसी के दबाव में नहीं, बल्कि प्रयोज्य ऊर्जा सुरक्षा के आधार पर निर्णय लेता है।
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका का मानना है कि जो देश रूस से तेल खरीदते हैं, वे पुतिन की युद्ध नीति को अप्रत्यक्ष रूप से फंड कर रहे हैं। ऐसे में अमेरिका ने पहले भी भारत समेत कई देशों को चेतावनी दी है। ट्रंप तो एक कदम आगे बढ़कर धमकी भी दे चुके हैं कि यदि कोई देश रूस से तेल खरीदता रहेगा, तो 100% टैरिफ लगाया जाएगा।
हालांकि भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि उसका उद्देश्य किसी का साथ देना नहीं, बल्कि अपने नागरिकों को सस्ती और सुलभ ऊर्जा देना है।

