खापों के विरोध पर चुप्पी, बोले तो बस इतना- विवादों से पुराना नाता है, लेकिन मैं शरीफ आदमी हूं
➤ बृजभूषण के दौरे के विरोध पर मंच से बोलने की कोशिश करने वालों को बीच में टोकते रहे
➤ बोले- ‘मैं बहुत शरीफ आदमी हूं’, लेकिन मंच पर बैठे हंस पड़े लोग
➤ MP-MLA ने साझा नहीं किया मंच, कार्यक्रम में रहा सियासी असहजता का माहौल
भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी नेता बृजभूषण शरण सिंह रविवार को हरियाणा के चरखी दादरी पहुंचे। मौका था वियतनाम में अंडर-17 एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली पहलवान रचना परमार के सम्मान समारोह का, लेकिन पूरा कार्यक्रम राजनीतिक और सामाजिक विरोध के दबाव में उलझा रहा।

यह कार्यक्रम राजपूत सभा द्वारा गांव बौंद कलां में आयोजित किया गया था, लेकिन फोगाट खाप पंचायत इसका विरोध कर रही थी। बृजभूषण के मंच पर बैठने से पहले ही बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह और विधायक सुनील सांगवान मंच छोड़कर जा चुके थे। उन्होंने ‘समय की कमी’ को कारण बताया, लेकिन साफ था कि बृजभूषण की मौजूदगी सियासी तौर पर असहज करने वाली थी।
कार्यक्रम के दौरान जब कुछ लोग खाप पंचायतों के विरोध और बृजभूषण के खिलाफ चल रहे विवादों का ज़िक्र करने लगे, तो बृजभूषण ने खुद उन्हें इशारे से चुप करा दिया। मंच पर हर बार जब कोई स्पर्शक विषय छूने की कोशिश करता, तो बृजभूषण मुस्कराकर या हाथ उठाकर उन्हें बीच में ही रोक देते।

इसी दौरान उन्होंने मंच से कहा—“मैं बहुत शरीफ आदमी हूं”। इस बात पर मंच और पंडाल में मौजूद लोगों की हंसी छूट गई, लेकिन बृजभूषण ने बात पूरी करते हुए कहा कि उनकी शराफत का परिचय अयोध्या जाकर मिलेगा। उन्होंने आगे कहा, “विवादों से मेरा पुराना नाता है। राम जन्मभूमि आंदोलन में मेरी गिरफ्तारी सबसे पहले हुई थी।”
हालांकि बृजभूषण ने रचना परमार और योगेश्वर दत्त को सम्मानित कर कार्यक्रम को खेल भावना की ओर मोड़ने की कोशिश की। ओलिंपियन योगेश्वर दत्त ने भी मंच से कहा कि “बृजभूषण जी के समय में खिलाड़ियों को पहचान मिली और कुश्ती पटरी पर लौटी है।”

फोगाट खाप ने इस कार्यक्रम पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि जिस व्यक्ति पर महिला खिलाड़ियों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हों, उसकी मौजूदगी समाज को नकारात्मक संदेश देती है। वहीं राजपूत सभा ने विरोध करने वालों को ‘स्वयंभू नेता’ करार देते हुए चेताया कि “अगर कोई विरोध करने आया तो इलाज कर दिया जाएगा।”
पुलिस ने मौके पर मौजूद रहकर किसी टकराव को टाल दिया, लेकिन साफ था कि यह सम्मान समारोह कुश्ती से ज़्यादा राजनीति का अखाड़ा बन गया था।